गर्मी से पहले ही बेंगलुरू में जल संकट शुरू हो गया है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के घर का बोरवेल सूख गया है. ऐसे में सवाल है कि आखिर बेंगलुरू में पानी की इतनी किल्लत क्यों हुई, हालात कैसे बिगड़ रहे हैंं और कर्नाटक सरकार ने इससे निपटने के लिए क्या योजना बनाई है?डिप्टी CM का बोरवेल भी सूखा, देश की हाइटेक सिटी बेंगलुरु में कैसे बढ़ा जल संकट?कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने बेंगलुरू के जलसंकट पर कहा, हम पानी की आपूर्ति करेंगे.
गर्मी से पहले ही बेंगलुरु में जल संकट शुरू हो गया है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के घर का बोरवेल सूख गया है. इसकी जानकारी देते हुए डीके शिवकुमार ने मंगलवार को कहा, बेंगलुरु के लगभग सभी इलाके पानी की कमी से जूझ रहे हैं. सरकार किसी भी कीमत पर बेंगलुरू में पानी की समस्या को दूर करेगी. हम शहर में पानी की आपूर्ति को सुनिश्चित करेंगे.ऐसे में सवाल है कि आखिर बेंगलुरु में पानी की इतनी किल्लत क्यों हुई, हालात कैसे बिगड़ रहे हैंं और कर्नाटक सरकार ने इससे निपटने के लिए क्या योजना बनाई है?
बेंगलुरू में क्यों और कैसे बढ़ता गया जल संकट?बेंगलुरु में जलसंकट पैदा होने के पीछे कई वजह हैं. सबसे बड़ी वजह रही बारिश में गिरावट. इससे कावेरी नदी के जल का स्तर गिरता गया. पेयजल आपूर्ति और कृषि सिंचाई दोनों पर बुरा असर पड़ा. उपमुख्यमंत्री शिवकुमार का कहना है कि बेंगलुरु महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बीएमआरडीए) और बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) के 14,781 बोरवेल में से 6,997 ने पानी देना बंद कर दिया है.वजह सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है. कई छोटे-छोटे कारण यहां जलसंकट को बढ़ा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि शहर के कई हिस्सों में जलस्रोतों पर अवैध निर्माण कराए गए. यहां जल संकट को बढ़ाने में एक बड़ा हाथ वॉटर टैंकर माफियाओं का रहा है. जो पानी की आपूर्ति के तालमेल को बिगाड़ रहे हैं. जल का अतिरिक्त दोहन कर रहे हैं. इसके अलावा बेंगलुरू में तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने जलसंकट को और भी बढ़ा दिया है.पानी की कमी से कैसे निपटेगी कर्नाटक सरकार, यह है प्लानजल संकट से निपटने के लिए कर्नाटक सरकार ने अपना प्लान बताया है.
राज्य सरकार ने बेंगलुरु तक पानी पहुंचाने के लिए कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) के दूध टैंकरों का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है. इसके अलावा सरकार शहर और उसके आसपास के निजी बोरवेलों को भी अपने नियंत्रण में लेने की योजना बना रही है. डीके शिवकुमार ने कावेरी परियोजना की रफ्तार बढ़ाने का संकेत दिया है, जिसमें मई के अंत तक बीबीएमपी क्षेत्राधिकार में आने वाले 110 गांवों में कावेरी जल आपूर्ति का विस्तार करने की योजना है.उप-मुख्यमंत्री ने पानी की कालाबाजारी को रोकने के लिए निजी जल टैंकर के मालिकों को अपना वाहन का रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश दिए हैं.
ऐसा न करने पर उन पर कार्रवाई करने की बात कही है. ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में, बेंगलुरू में 3,000 से अधिक टैंकरों में से केवल 219 ही BWSSB के साथ पंजीकृत हैं. इसके अलावा उन्होंने गुरुवार को जल टैंकर ऑपरेटरों के संघ के साथ बैठक बुलाने की घोषणा भी की है.ऐसे हालात को रोकने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2024-2025 के बजट भाषण में BWSSB द्वारा कावेरी परियोजना के पांचवे चरण की शुरुआत करने की घोषणा की. इस प्रोजेक्ट की लागत 5,550 करोड़ रुपए है. मकसद है कि 12 लाख लोगों को प्रतिदिन 110 लीटर पीने का पानी उपलब्ध कराया जाए.