नई दिल्ली :– साइबर अपराधियों ने शेयर बाजार के नाम पर ठगी का एक अलग और सुनियोजित मॉडल अपनाया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आम लोगों को जोड़ने से लेकर उनके आर्थिक हालात का आकलन करने के लिए एक समर्पित टीम काम करती है। यह टीम संबंधित व्यक्ति की सोशल मीडिया प्रोफाइल का विश्लेषण करती है और उसे ठगी के जाल में फंसाने का तरीका ढूंढती है। ग्राहकों को लुभाने के लिए कॉल सेंटर में युवतियां रखी जाती हैं और फर्जी शेयर बाजार विशेषज्ञों के वाट्सएप ग्रुप बनाए जाते हैं।
संभल जिले में भी इस तरह की ठगी के कई मामले सामने आए हैं। जिसमें ठग असली शेयर बाजार पोर्टल की हूबहू नकल करते हुए फर्जी वेबसाइट बनाते हैं। इन पोर्टल्स पर लोगों को निवेश करने का लालच देकर धनराशि हड़पी जाती है। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के नाम पर ठगे गए लोग आसानी से झांसे में आ जाते हैं।
इतना ही नहीं, ठग फर्जी लाभ दिखाकर ग्राहकों का विश्वास जीतते हैं और फिर बड़ी रकम हड़प कर पोर्टल को बंद कर देते हैं। लोग अधिक लाभ के लालच में बिना जांच-पड़ताल किए इन पोर्टल्स पर भरोसा कर लेते हैं। ठगों के पास सोशल इंजीनियरिंग तकनीक होती है, जिसके जरिए वे लोगों को उनकी आर्थिक स्थिति और मानसिकता के आधार पर फंसाते हैं।
जागरुकता की कमी और सटीक जानकारी न होने के कारण ठगी के ये मामले बढ़ते जा रहे हैं। साइबर सुरक्षा से जुड़े लोगों का मानना है कि शेयर बाजार के नाम पर साइबर ठगी के बढ़ते मामलों से लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। यह ठगी न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाती है, बल्कि जनता का विश्वास भी तोड़ती है। सही जानकारी और जागरूकता ही इस ठगी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।
केस 1: टेलीग्राम पर मिले लिंक से शेयर मार्केट के बहाने फंसाया
बहजोई के मुकेश कुमार को टेलीग्राम पर एक लिंक मिला, जिसमें शेयर बाजार में निवेश कर अतिरिक्त कमाई का दावा किया गया। लिंक खोलने पर उन्हें शेयर बाजार की वास्तविक स्क्रीन जैसा एक फर्जी पोर्टल दिखा, जहां उन्हें पंजीकरण करने को कहा गया। जिन्होंने एक हजार रुपए का निवेश किया, जिसके तुरंत बाद उनकी राशि 2200 रुपए दिखाई गई। इस पर विश्वास कर उन्होंने तीन हजार रुपए और लगाए, लेकिन यह राशि गायब हो गई। पोर्टल ने इसे शेयर बाजार में गिरावट बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। कुछ समय के बाद पोर्टल दिखाई नहीं दिया।
केस 2: काल सेंटर को युवती ने शेयर बाजार में पैसे लगाने के लिए फंसाया
गुन्नौर के मनीष कुमार के पास एक युवती का फोन आया, जिसने खुद को एक पंजीकृत कंपनी की प्रतिनिधि बताया। उसने शेयर बाजार में निवेश का लालच दिया। मनीष ने कंपनी की वेबसाइट पर पांच सुए रुपए देकर पंजीकरण कराया और बाद में पांच हजार रुपए का निवेश किया। कुछ समय बाद कंपनी का पोर्टल बंद हो गया और मनीष की पूरी रकम डूब गई। डर और झिझक के कारण उन्होंने इस मामले की शिकायत तक नहीं की।
केस 3: रियल एस्टेट में लगाकर शेयर बाजार में रुपए लगाने का भी मामला
बहजोई क्षेत्र के गांव पाठकपुर के राजकुमार करीब आठ महीने पहले अपने रिश्तेदार के मध्यम से एक कंपनी से जुड़े। उसी दौरान उनके 15 हजार रुपए लगवाए गए। रियल एस्टेट में रकम लग जाने के बाद भी शेयर मार्केट में लगाते हैं और वहां से लाभ होता है। उसके बाद वापस दिए जाने का वादा किया गया लेकिन कुछ समय बाद पता लगा कि कंपनी के एजेंट से लेकर सीनियर अधिकारी फरार हो गए।
क्या किया जाना चाहिए?
निवेश से पहले संबंधित पोर्टल या कंपनी की प्रामाणिकता की जांच करें।
अधिक लाभ के लालच में बिना जांच-पड़ताल के पैसा न लगाएं।
ऐसी घटनाओं की तुरंत पुलिस या साइबर सेल में शिकायत करें
सरकार और प्रशासन को ठगी के मामलों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।