नई दिल्ली:– आपको बता दे की 1 जुलाई से दिल्ली समेत पूरे देश का कानून अपनी नई ‘भाषा और परिभाषा’ के साथ सामने होगा। ब्रिटिश काल में सन 1860 में अंग्रेजों ने अपनी सुविधानुसार जिस IPC को लागू किया था। उससे लगभग छुटकारा मिल जाएगा। तो अब आईपीसी नहीं, बल्कि BNS बोलेंगे पुलिस के ‘जनाब’। एफआईआर के हेड लाइन के साथ, सेक्शन, डिजिटल, फॉरेंसिक जांच के तौर तरीके सभी बदले जा चुके हैं।
सालभर से पुलिस के जवानों को मिल रही ट्रेनिंग
लगभग एक साल से दिल्ली पुलिस के जवान अलग-अलग फेज में दिल्ली के चार जगहों पर इस नए कानून की पाठशाला में पढ़ाई करके ट्रेंड हो रहे थे। ऐसे में पुलिस की तरफ से पूरी तैयारियां अंतिम दौर में हैं। गुरुवार को दिल्ली के थानों तक नई एफआईआर की डमी, और उसके दर्ज करने का रिहर्सल भी शुरू हो चुका है। साथ ही साथ दिल्ली पुलिस का अपने जवानों के लिए अपना एक ऐप भी लगभग तैयार है जो बदले हुए कानून की धाराओं के साथ भारतीय न्याय संहिता की एक क्लिक से स्क्रीन पर जानकारी देगा। एक अधिकारी ने बताया कि यह ऐप 1 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा।
दिल्ली पुलिस के 15 हजार से ज्यादा जवान ट्रेंड
दिल्ली पुलिस ने अपने 15,000 से ज्यादा जवानों को नए कानूनों से पूरी तरह ट्रेंड कराया है। इनमें एसएचओ, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, एएसआई रैंक के जवान शामिल हैं। इन्हें ऐप की तकनीकी से लैस तो रखा ही जाएगा। बल्कि क्राइम सीन की वीडियोग्राफी, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफी में भी पारंगत होंगे। नए कानून के साथ ही डिजिटल एविडेंस पर ज्यादा जोर है। सूत्रों के मुताबिक, एप के जरिए क्राइम सीन पर वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग और तस्वीरों को न सिर्फ सेव रखा जाएगा। बल्कि आईओ इन्हें एप से सीधा अपलोड कर सकेंगे।
ऐप का चल रहा ट्रायल
सीनियर अफसर ने बताया कि नए कानूनों के लागू होने में बहुत कम समय बचा है और ऐसे में टेक्नॉलजी एक्सपर्ट की मदद से ऐप का ट्रायल कर रहे हैं। ऐप का फोकस डिजिटल प्रूफ को बिना किसी छेड़छाड़ के बनाए रखने पर है। सीनियर अफसर ने यह भी बताया कि बीएनएस में आईपीसी के कई कानूनों को बरकरार रखा है। आतंकवाद को भी एक अपराध के रूप में लिस्टेड किया गया है, इसकी वजह से पुलिस को सिर्फ यूएपीए पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। मॉब लिंचिंग- नस्ल, जाति, लिंग और भाषा जैसे कैटेगरी के आधारों पर पांच या अधिक लोगों द्वारा हत्या या गंभीर चोट पहुंचाना भी अब एक सीरियस क्राइम माना जाएगा।
क्या बदला FIR के फॉर्मेट में
पहले की FIR: फर्स्ट इन्फोर्मेशन रिपोर्ट
1 जुलाई से FIR: फर्स्ट इन्फोर्मेशन रिपोर्ट एफआईआर का बाकी फॉर्मेट उसी तरह का दिखेगा।
रेप और पॉक्सो- बीएनएस 65 और 4 पॉक्सो
हत्या- बीएनएस 103 – मृत्युदंड या आजीवन कारावास
मॉब लिंचिंग- बीएनएस 103 – पांच से अधिक लोगों का ग्रुप मिलकर जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा को लेकर हत्याएं करता है, ऐसे ग्रुप के हर एक सदस्य को दोष साबित होने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा।
किडनैपिंग- बीएनएस 137- कम से कम सात साल और इससे अधिक की सजा, जुर्माना भी
फिरौती के लिए किडनैपिंग- बीएनएस 140 मृत्युदंड और आजीवन कारावास की सजा
स्नैचिंग- बीएनएस 304 – कम से कम तीन साल की सजा और जुर्माना
दंगा- बीएनएस 189/190/191/192/324/117/57/61/3- कम से कम 7 साल की सजा
दहेज के लिए हत्या- बीएनएस 80 – कम से कम सात साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा
एक्सिडेंट में मौत- बीएनएस 106- अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माना
हत्या की कोशिश- बीएनएस 109- मृत्युदंड या आजीवन कारावास