नई दिल्ली : पांच जुलाई को इंटरनेशनल बिकनी डे मनाया जाता है. बिकनी एक खास तरह का कपड़ा होता है जिसे महिलाएं खास कर गर्मियों में, सन बाथ, बीच पर या स्वीमिंग पूल में नहाने के लिए पहनती हैं. यह गर्मियों की खास पोषाक है जिसे तकरीबन हर महिला पहनना चाहती है. बिकनी को नहाने के वक्त पहनने वाले सबसे छोटे कपड़े के नाम से भी जाना जाता है. इसे किसी फैशन डिजाइनर ने नहीं बल्कि एक इंजीनियर ने डिजाइन किया था। जी हां, बिकिनी को किसी फैशन डिजाइनर ने नहीं बल्कि फ्रांस के एक इंजीनियर लुईस लेअर्द ने डिजाइन किया था।
5 जुलाई को इसलिए बिकिनी डे मनाया जाता है। दुनिया भर में बिकिनी सबसे सेक्सी ड्रेस मानी जाती है। समंदर के किनारे तो युवा लड़कियां इसे पहनकर अपनाफिगर फ्लॉन्ट करती दिखाई देती हैं।
सवाल यह है कि इसका नाम बिकिनी क्यों पड़ा। तो इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल, पहली बार जिस जगह पर बिकिनी बनाई गई थी उस जगह का ना बिकिनी अटोल था। यह जगह प्रशांत महासागर में स्थित है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिकिनी अटोल में उस वक्त न्यूक्लियर एटम और हथियारों का परीक्षण साईट हुआ करती थी। इंजीनियर ‘लुईस रियर्ड’के इस आविष्कार को किसी बम से कम नहीं माना जाता था।
भले ही बिकिनी आज के वक्त में स्टाइल स्टेमेंट बन गया है। लेकिन इसके आविष्कार के बाद कोई भी मॉडल इसे पहनना नहीं चाहती थी। इतना ही नहीं कोई विज्ञापन के लिए भी तैयार नहीं हो रही थीं। लेकिन कुछ वक्त के बाद 19 साल की एक डांसर मिशेलाइन इसका विज्ञापन करने के लिए तैयार हुईं। कहा जाता है जैसे ही वो इसे पहनकर एड किया वैसे ही छा गईं। उन्हें उनके फैंस के 50 हजार से ज्यादा खत मिले।
आज पूरी दुनिया में लड़कियां बिकिनी पहनती हैं। लेकिन एक वक्त था जब इटली, अमेरिका और स्पेन में इस पर बैन लगा दिया गया था। लेकिन बाद में इसे हटाना पड़ा। महज 4 सालों में बिकिनी ने दुनिया भर के बाजारों में अपनी पहचान बना ली थी।
भारत में आज की तारीख में बिकिनी ने मार्केट पर पकड़ मजबूत कर ली है। एक्ट्रेस की पहचान बिकिनी अब युवा लड़कियों के बीच भी खासी लोकप्रिय हो रही हैं।