अब तक हम लोगों को यही बताया गया है कि हर दिन अच्छी खासी मात्रा में पानी पीना चाहिए. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने नई स्टडी में दावा किया है कि दिन में 8 ग्लास पानी पीना शायद बहुत ज्यादा है. यह नई स्टडी जर्नल साइंस में पब्लिश हुई है, जिसका टाइटल है-‘इसमें बताया गया है कि कैसे इंसान के सेवन के लिए पानी की जरूरतों को मैनेज करना ज्यादा मुश्किल हो सकता है क्योंकि धरती की जलवायु और मानव आबादी में परिवर्तन होते हैं.
यह स्टडी 26 देशों के 5600 से ज्यादा लोगों पर की गई थी. वैज्ञानिकों ने इन लोगों को पांच प्रतिशत ‘दोगुने लेबल वाले पानी’ से समृद्ध 100 मिलीलीटर पानी दिया. यह एक तरह का पानी होता है, जिसमें कुछ हायड्रोजन मॉलिक्यूल्स को स्थिर ड्यूटेरियम नाम के आइसोटोप एलिमेंट से रिप्लेस कर दिया जाता है. यह पूरी तरह सुरक्षित और मानव शरीर में स्वाभाविक रूप से होता है. जिस रफ्तार से अतिरिक्त ड्यूटेरियम खत्म हो जाता है, उससे पता चलता है कि शरीर कितनी तेजी से अपना पानी बदल रहा है.
20-30 साल की उम्र के पुरुषों और 20 से 55 साल की महिलाओं में ज्यादा वाटर टर्नओवर देखा गया, जो पुरुषों में 40 की उम्र और महिलाओं में 65 साल की उम्र के बाद कम हो जाता है. नवजात शिशुओं में पानी की टर्नओवर दर सबसे अधिक थी, जो हर दिन लगभग 28 प्रतिशत की जगह लेती थी. पुरुष समान परिस्थितियों में महिलाओं की तुलना में प्रति दिन लगभग आधा लीटर ज्यादा पानी पीते हैं.
रिसर्चर्स कहते हैं, “यह मौजूदा स्टडी संकेत देती है कि सभी के लिए पानी पीने का आकार एक समान नहीं हो सकता और जो 8 ग्लास पानी हर दिन पीने की सलाह दी जाती है, उसका कोई ठोस सबूत नहीं है.” विकसित देशों के लोग जो क्लाइमेट कंट्रोल वाली इनडोर सेंटिंग्स में रहते हैं, उनका गरीब देशों के मुकाबले वाटर टर्नओवर कम है क्योंकि गरीब देशों के लोग मैनुअल लेबर्स के तौर पर काम कर रहे हैं. स्टडी के बारे में टिप्पणी करते हुए वैज्ञानिकों ने कहा, ये नई गाइडलाइंस ज्यादा अहम इसलिए हैं क्योंकि बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन से दुनिया जूझ रही है, जिससे मानव खपत के लिए पानी की उपलब्धता प्रभावित होगी.