क्या सरकार किसी की भी निजी सम्पत्ति पर बुलडोजर चला सकती है. उसे ध्वस्त करा सकती है? इस मामले पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है. 1 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई तक यह रोक बरकरार रहेगी. यानी बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बुलडोजर से घर नहीं गिराए जा सकेंगे. कोर्ट का कहना है, देश में अधिकारियों द्वारा मकानों को तोड़फोड़ करने की धमकियों को अदालत नजरअंदाज नहीं कर सकती. किसी अपराधी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं गिरा सकते कि वो एक अपराधी है.सुप्रीम कोर्ट से पहले भी ऐसे मामले चर्चा में रहे हैं जब सरकार के बुलडोजर एक्शन के बाद पीड़ितों ने प्रशासन पर अवैध और गैर-कानूनी कार्रवाई के आरोप लगाए. सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से चर्चा में रहे.
ऐसे में सवाल है कि क्या सरकार कभी के निजी निर्माण को गिरा सकती है, क्या कहता है कानून और पीड़ित के पास क्या अधिकार हैं?कब-कब गिराए जाते हैं घर, पहले इसे समझेंघरों को गिराने पर कानून क्या कहता है, इससे पहले यह समझ लेते हैं आखिर किन-किन हालातों में घर गिराए जाते हैं.देश में सेंट्रल डेमोलिशन एक्ट न होने के कारण अलग-अलग राज्यों में सरकारें अलग-अलग कानूनों के तहत घर गिराने की कार्रवाई करती हैं. इस तरह राज्यों में घर को गिराने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे- सरकारी री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, गैरकानूनी निर्माण, अवैध बस्ती को हटाने कर काम, प्राकृतिक आपदा के बाद विकास, शहरीकरण, भूमि अधिग्रहण, मेंटिनेंस न होने के कारण जर्जर होने वाले घर और विरासत को सहेजने के लिए सरकार की तरफ से की जाने वाली कार्रवाई.
घर को गिराने पर क्या कहता है कानून?ऐसी कार्रवाई के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियमों को लागू किया जाता है. ऐसे मामले सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से चर्चा में आए हैं. इसलिए यहीं का नियम जान लेते हैं.उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों में अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1973 के तहत कार्रवाई की जाती है. मकान को पूरा ढहाया जाना है या कुछ हिस्सा तोड़ा जाएगा या फिर जिसका घर तोड़ा जा रहा है वो क्या कर सकता है, इसकी पूरी जानकारी इस कानून में मिलती है.उत्तर प्रदेश के अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1973 की धारा 27 कहती है, ऐसी कार्रवाई तब की जाएगी जब घर या विकास कार्यों के मास्टर प्लान में नियमों का उल्लंघन किया गया हो. जरूरी मंजूरी न ली गई हो. मास्टर प्लान का उल्लंघन किया गया हो या फिर नियमविरुद्ध निर्माण किया जा रहा हो. ऐसे हाल में प्रशासन बुलडोजर चलाकर निर्माण या घर को गिरा सकता है. या फिर केवल उस हिस्से को तोड़ सकता है जो विवादित हो.हालांकि, इसके लिए भी बकायदा आदेश जारी होता है.
अगर अवैध इमारत, मकान, घर को गिराने का आदेश जारी हो जाता है तो अगले 15 से 40 दिन के अंदर यह कार्रवाई हो जानी चाहिए. हालांकि कार्रवाई के लिए यह बात भी निर्भर करती है कि ऐसा करने आदेश कब रिसीव हुआ है. इस कार्रवाई को कराने का आदेश डेवलपमेंट अथॉरिटी का वाइस चेयरमैन देता है.यूं ही नहीं कर सकते कार्रवाईनियम के मुताबिक देखें तो सरकार ऐसी कोई भी कार्रवाई यूं नहीं कर सकती. इसके लिए बकायदा आदेश पारित करना होगा. जिस इमारत, मकान या निर्माण कार्य को गिराने का आदेश दिया जा रहा है उसके मालिक को कारण बताओ नोटिस जारी करना होता है. इस तरह पूरी प्रक्रिया के बाद ही एक्शन लिया जा सकता है.भवन का मालिक क्या-क्या कर सकता है?ऐसे मामलों में भवन के मालिक को भी कुछ अधिकार दिए गए हैं. जैसे- कारण बताओ नोटिस मिलने के 30 दिन के अंदर उसे विकास प्राधिकरण के चेयरमैन के साथ अपील करनी होगी. अपील के बाद अगर चेयरमैन को लगता है कि आदेश में बदलाव होना चाहिए तो वो ऐसा कर सकते हैं. या उसे रद्द भी कर सकते हैं. हर हाल में चेयरमैन का फैसला अंतिम माना जाएगा. इसके बाद वही होगा जो चेयरमैन को सही लगेगा