: हिंदू धर्म में दान का बहुत बड़ा महत्व है. यह बात ऋग्वेद में भी उल्लेखित है कि दान करना किसी यज्ञ करने के बराबर माना जाता है. यानि जो यज्ञ करने के बाद फल की प्राप्ति होती है वहीं फल किसी को दान करने से भी मिलता है. दान करने से कई प्रकार के कष्ट तो दूर होते ही हैं साथ ही पापों से भी छुटकारा मिलता है.बता दें कि व्यक्ति को अपनी आमदनी में से कितना हिस्सा और कैसे दान करना चाहिए इसके बारे में ज्ञात होना आवश्यक है. चलिए विस्तार में जानते हैं कि दान करने के कौन कौन से खास नियम हैं और कितना हिस्सा दान में देना उचित माना जाता है!
हिंदू धर्म के अनुसार व्यक्ति को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान करना चाहिए. यह दसवां हिस्सा किसी भी अच्छे कार्य में लगाना सही माना जाता है. वहीं अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी या फिर परिजनों को कष्ट देकर दान करता है तो उसका दान शुभ फल की प्राप्ति नहीं बल्कि पूरी जिंदगी और मरने के बाद भी कष्ट पहुंचाता है. इसलिए ऐसा दान कोई काम का नहीं कहलाता.जानें दान करने के खास नियमदान में सबसे उचित दान स्वप्रदत्त माना गया है, जो कि अपनी इच्छा से अपनी चीजों को दान करे. वहीं मध्यम दान घर.गृहस्थी के दान को माना गया है. इस दान को फलदायी माना गया है.
बता दें कि गाय, ब्राह्मण या फिर किसी रोगी व्यक्ति को दान करने समय रोक दे तो ऐसे में कष्ट उठाना पड़ता है.बता दें कि यदि कोई व्यक्ति हाथों से तिल, कुश, जल और चावल का दान करे तो यह शुभ होता है वरना उस पर राक्षस कब्जा कर लेते हैं. एक और खास बात का ध्यान रखें कि दान करने समय हमेशा अपना मुख्य पूर्व दिशा की ओर रखें. वहीं जो दान ले रहा है उसे अपना मुख उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए.
ऐसा करने से दान करने वाले की आयु बढ़ती है तो वहीं लेने वाले की भी आयु घटती नहीं है.यदि कोई व्यक्ति महादान करना चाहता है तो उसे गाय, सोना, चांदी, रत्तन, तिल, कन्या, हाथी, घोड़ा, शय्या, वस्त्र, भूमि, विद्या, अन्न, दूध, छाता और आवश्क सामग्रियों के साथ घर की ये 16 चीजें जरूर दान करना चाहिए.