चीन ने ब्रह्मांड की रहस्यमय घटनाओं को जानने के लिए नया सैटेलाइट लॉन्च किया है. इसका नाम आइंस्टीन प्रोब (ईपी) है. इसका खास डिजाइन सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. चीनी मीडिया का दावा है कि यह सैटेलाइट खिले हुए कमल की तरह दिखता है.आइंस्टीन प्रोब सैटेलाइट को चीन के सिचुआन प्रांत स्थित जिचांग सैटेलाइट लाॅन्च सेंटर से लाॅन्च किया गया. इस सेटेलाइट ने बीजिंग के समयानुसार दोपहर 3:03 बजे अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. आइए जानते हैं कि इस सैटेलाइट से वैज्ञानिक ब्रह्मांड के कौन से रहस्य सुलझाएंगे और इसे कमल का डिजाइन ही क्यों दिया गया है.
सैटेलाइट का डिजाइन कमल जैसा क्यों?चीनी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,आइंस्टीन प्रोब सैटेलाइट का वजन 1.45 टन है. यह एक एसयूवी जिसना बड़ा है. इसमें कुल 14 मॉड्यूल लगे हैं. 12 मॉड्यूल साइड में और 2 नीचे की तरफ हैं. देखने पर ये सैटेलाइट एक कमल की तरह लगता है. साइड वाले मॉड्यूल कमल की 12 पंखुड़ियों की तरह नजर आते हैं. वहीं, नीचे वाले मॉड्यूल उसके जैसे प्रतीत होते हैं. नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरीज़ ऑफ द चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के शोधकर्ता और ईपी मिशन का हिस्सा रहे युआन वेइमिन ने कहा, ‘यह अब तक का सबसे सुंदर सैटेलाइट है.’
चीन के सैटेलाइट का नाम जर्मनी में पैदा हुए अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर रखा गया है. इसके पीछे एक विशेष वजह है. दरअसल, इस सैटेलाइट का उद्देश्य ब्रह्मांड में ब्लैक होल की खोज करना है.युआन ने कहा, ‘चूंकि आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के सिद्धांत से ब्लैक होल और गुरुत्वाकर्षण वेव की भविष्यवाणियां की गई हैं. इसलिए उपग्रह का नाम महान वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है.’Einstein Probe Chinaचीन के सैटेलाइट का नाम वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर रखा गया है.
ब्लैक होल की होगी खोजसैटेलाइट के साइड वाले 12 मॉड्यूल में वाइड-फील्ड एक्स-रे टेलीस्कोप (WXT) फिट हैं. जबकि नीचे के दो मॉड्यूल में फॉलो-अप एक्स-रे टेलीस्कोप (FXT) लगे हुए हैं. ये सब टेलीस्कोप मिलकर एक स्पेस ऑब्जर्वेटरी की तरह काम करेंगे. इनसे सुपरनोवा विस्फोटों से निकलने वाली पहले लाइट को पकड़ने में मदद मिलेगी. साथ ही ये ग्रेविटेशनल वेव घटनाओं के साथ आने वाले एक्स-रे संकेतों की खोज करने और उन्हें इंगित करने का काम करेगा.उम्मीद की जा रही है कि इस मिशन से ब्रह्माण्ड में दूर-दूर तक मौजूद डॉर्मेंट ब्लैक होल की खोज हो सकेगी.
डॉर्मेंट ब्लैक होल वो ब्लैक होल होते हैं जिनसे अभी तक कोई प्रकाश की किरणें डिटेक्ट नहीं हुई हैं.हालांकि, ये ब्लैक होल पास के तारों को खींचने में सक्षम होते हैं. इस प्राॅसेस में एक्स-रे लाइट चमकने लगती है. आइंस्टीन प्रोब सैटेलाइट इन एक्स-रे की तलाश करेगा. जिससे मुश्किल से पता लगाने वाले ब्लैक होल की खोज करके उन पर अध्ययन किया जा सकेगा.लॉबस्टर की आंख से ली प्रेरणावैज्ञानिकों ने WXT को विकसित करने में लॉबस्टर की आंख की से प्रेरणा ली है. इस विशेष संरचना से एक साथ वाइड फील्ड ऑब्जर्वेशन और एक्स-रे फोकस इमेजिंग हासिल की जा सकेगी. WXT एक बार में बहुत बड़े हिस्से को देख सकता है.
दावा किया जा रहा है कि ये एक बार में आकाश के बारहवें हिस्से पर नजर बनाए रख सकता है. वहीं, नीचे वाले मॉड्यूलों में लगे FXT टेलीस्कोप स्वतंत्र रूप से विस्फोटक स्रोतों की खोज करने में सक्षम है.