आजकल हर कोई किसी ना किसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल और अनियमित खानपान है. भागदौड़ भरी जीवनशैली के चलते लोग दस मिनट व्यायाम तक के लिए समय नहीं निकाल पाते, जिसके कारण 50 से 60 की उम्र में ही लोगों शरीर काफी कमजोर और कई तरह की बीमारियों का घर हो जाता है. इस बीच वैज्ञानिकों ने इस बात का खुलासा किया है कि रेगुलर नट्स का सेवन करने से वृद्धावस्था में स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिल सकती है.
मोनाश विश्वविद्यालय के नेतृत्व वाली टीम द्वारा किए गए नए शोध में पाया गया है कि नट्स का नियमित सेवन स्वस्थ जीवन जीने से जुड़ा है. जर्नल एज एंड एजिंग में प्रकाशित एक लेख के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने कहा कि नियमित रूप से नट्स खाने से वृद्धों को हेल्दी लाइफस्टाइल जीने में मदद मिल सकती है. मोनाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने लगभग 10,000 वृद्धों के डेटा को देखा और पाया कि जो लोग अक्सर नट्स खाते थे, चाहे वे किसी भी प्रकार के हों या किसी भी रूप में, वे उन लोगों की तुलना में बिना किसी डिमेंशिया या लगातार विकलांगता के लंबे समय तक जीवित रहे, जिन्होंने कभी या कभी-कभार नट्स खाए.
मोनाश यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन के पीएचडी उम्मीदवार और लेक्चरर, प्रथम लेखक होली वाइल्ड ने कहा कि नट्स प्रोटीन, माइक्रोन्यूट्रिएंट, अनसैचुरेटेड फैट, फाइबर और एनर्जी का एक अच्छा स्रोत हैं, लेकिन खराब मौखिक स्वास्थ्य या चबाने में कठिनाई वाले लोगों के लिए साबुत नट्स का सेवन करना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में अगर वे अपने आहार में नट्स शामिल करना चाहते हैं, तो सुपरमार्केट में नट्स कई अलग-अलग रूपों में उपलब्ध हैं, जिनमें साबुत नट्स, कटे हुए या क्रश्ड नट्स, नट्स मील और नट बटर या पेस्ट शामिल हैं. जिसका सेवन खराब मौखिक स्वास्थ्य या चबाने में कठिनाई वाले लोग आसानी से कर सकते हैं.
मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के लिए बहुत अधिक सुलभ हो सकता है.प्रथम लेखक होली वाइल्ड ने कहा कि नट्स का सेवन लोग नाश्ते के वक्त या भोजन के वक्त कर सकते है. हालांकि, उन्होंने कहा कि नमकीन नट्स और कैंडीड और चॉकलेट से ढके नट्स को जितना हो सके उतना इग्नोर करना सही है. होली वाइल्ड ने कहा कि नट्स हमारे आहार में प्रोटीन और पोषक तत्वों को अधिक टिकाऊ तरीके से शामिल करने का एक शानदार तरीका है.