मालदा:- बांग्लादेश में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के विरोध में मालदा के होटल व्यवसायी बांग्लादेशियों के विरोध में एकजुट हो गए हैं. उन्होंने फैसला किया है कि जब तक बांग्लादेश में स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक मालदा के होटल और रेस्तरां के दरवाजे बांग्लादेशी नागरिकों के लिए बंद रहेंगे.
हाल की कुछ घटनाओं के मद्देनजर, हाल के दिनों में भारत के अपने पड़ोसी देश के साथ संबंध खराब हो गए हैं. भारतीयों का मानना है कि इसके लिए उस देश में धार्मिक नारे लगाने वाले कुछ लोग जिम्मेदार हैं, क्योंकि शेख हसीना सरकार के पतन के बाद, उस देश के कुछ नागरिकों ने अलग-अलग प्रकार के बहाना बनाकर भारत की आलोचना की है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दोनों देशों के लोगों के बीच वर्चुअल वॉर चल रहा था.
इस्कॉन चटगांव के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने आग में घी डालने का काम किया है. भारतीयों ने ढाका की सड़कों पर हजारों लोगों के विरोध मार्च का समर्थन किया है. बांग्लादेश में नागरिकों का एक वर्ग तिरंगे का अपमान कर रहा है. उस तस्वीर को देखने के बाद भारतीयों में गुस्सा भड़क उठा है. कई डॉक्टरों ने कहा कि वे अब किसी भी बांग्लादेशी नागरिक का इलाज नहीं करेंगे. किसी और ने कहा कि वे किसी बांग्लादेशी का इलाज तभी करेंगे जब वह तिरंगे के सामने झुकेगा.
कोलकाता के एक निजी अस्पताल ने भी घोषणा की है कि, वह बांग्लादेशी नागरिकों का इलाज नहीं करेंगे. त्रिपुरा के बाद अब मालदा होटल मालिक संघ ने कड़ा फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि, स्थिति सामान्य होने तक किसी भी बांग्लादेशी नागरिक को मालदा के किसी भी होटल या रेस्तरां में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने मंगलवार को पुलिस प्रशासन को अपने फैसले की जानकारी दी. बुधवार को उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की.
उनका स्पष्ट कथन है, देश पहले, कारोबार बाद में. मालदा जिला होटल एवं रेस्तरां मालिक संघ के सचिव कृष्णेंदु चौधरी ने कहा, “बांग्लादेश के मौजूदा हालात के कारण हमें यह निर्णय लेने के लिए बाध्य होना पड़ा है, क्योंकि इस मौके पर सीमा पार से काफी घुसपैठ हो रही है. हमें समझ में नहीं आ रहा है कि उनमें कोई उग्रवादी तो नहीं है.” उन्होंने आगे कहा कि, अब फर्जी पासपोर्ट, वीजा या पहचान पत्र बन रहे हैं. इसलिए हमने निर्णय लिया है कि हम किसी भी बांग्लादेशी नागरिक को रहने की जगह नहीं देंगे और भोजन भी नहीं देंगे.”
उन्होंने कहा कि यह निर्णय देशहित में लिया गया है. इस निर्णय के पीछे देश का हित भी शामिल है, क्योंकि हमारे लिए देश का सम्मान सबसे पहले है. इस निर्णय से हमें प्रतिदिन करीब एक लाख रुपये का नुकसान होगा. हमें उस नुकसान का हिसाब आज से लगाना होगा. आमतौर पर मालदा में प्रतिदिन औसतन 150 बांग्लादेशी आते हैं. यह निर्णय तब तक लागू रहेगा, जब तक यह अशांति समाप्त नहीं हो जाती.
होटल व्यवसायियों के इस निर्णय का मालदा चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी समर्थन किया है. मालदा मर्चेंट चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जयंत कुंडू ने कहा कि,पिछले कुछ हफ्तों से भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध खराब हो रहे हैं. वहां के कुछ लोग परेशानी पैदा करने और अल्पसंख्यकों को उस देश से निकालने की कोशिश कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि यह केंद्र सरकार का मामला है. इसलिए केंद्र सरकार जितनी जल्दी इस पर कोई कदम उठाएगी, उतनी ही जल्दी मामला सुलझ जाएगा. होटल मालिकों का कहना है कि, फिलहाल मालदा में उनके संगठन के साथ पंजीकृत होटलों और रेस्तरां की संख्या 93 है. इसके अलावा, कई होटल और ढाबे भी हैं. कुल मिलाकर, यह संख्या 150 से ज्यादा है.