क्या आपको पता है कि भारत पेट्रोल और डीजल के अलावा गैस के लिए कितना बिल भरता है. जी हां, भारत सरकार के इंपोर्ट बिल में सबसे ज्यादा पैसा कच्चे तेल और नेचुरल गैस का होता है. अगर आप इसे आसान भाषा समझना चाहते हैं तो बस इतना समझ लीजिए कि सरकार हर सेकंड में कच्चे तेल और नेचुरल गैस के लिए 3,14,618 रुपए का बिल भरती है. ये आंकड़ा हमारा नहीं है बल्कि पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल का है.
जोकि पेट्रोलियम मिनिस्ट्री का ही डिपार्टमेंट है. वास्तव में सरकार की इस एजेंसी ने देश के कच्चे तेल और नेचुरल गैस के इंपोर्ट के वॉल्यू और बिल के बारे में जानकारी दी है. ये जानाकारी अप्रैल 2023 से लेकर दिसंबर 2023 यानी मौजूदा वित्त वर्ष की 3 तिमाहियों की है. आइए आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.इंपोर्ट बिल में 21 फीसदी की गिरावटचालू वित्त वर्ष के अप्रैल-दिसंबर के दौरान भारत का तेल और गैस इंपोर्ट बिल में साल-दर-साल 21 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है और कच्चे तेल की कीमतों में कमी वजह से इस दौरान टोटल बिल 89.9 बिलियन डॉलर यानी 7.47 लाख करोड़ रुपए हो गया है.
अगर इस बिल की कैलकुलेशन एक सेकंड के हिसाब से करें तो 3,14,618 रुपए बन रहा है. पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के फ्रेश आंकड़ों के अनुसार भारत का कच्चे तेल का इंपोर्ट दिसंबर तक थोड़ा बढ़कर 172.9 मिलियन टन हो गया, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 की समान अवधि में खरीदे गए 172.3 मिलियन टन से थोड़ा अधिक है.कितना सस्ता हुआ कच्चा तेलवित्त वर्ष 2023 में, रूस-यूक्रेन वॉर के बाद कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं थी. जिसका प्रमुख कारण वॉर की वजह से सप्लाई कम होना था.
वैसे खाड़ी देशों का ब्रेंट क्रूड और अमेरिकी कच्चा तेल वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 2023 में 10 फीसदी से ज्यादा कम हो गए और 2020 के बाद से वर्ष के अंत में अपने सबसे निचले लेवल पर बंद हुए. जनवरी में अब तक, इंडियन क्रूड ऑयल बास्केट का औसत 77.85 डॉलर प्रति बैरल रहा है, जबकि अप्रैल 2023 में यह 83.76 डॉलर प्रति बैरल था. इसका मतलब है कि तब से अब तक इंडियन बास्केट 7 फीसदी से ज्यादा सस्ता हो चुका है.
दिलचस्प बात तो ये है कि दिसंबर के अंत तक इंपोर्टिड कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता बढ़कर 87.5 फीसदी हो गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 87 फीसदी से मामूली रूप में ज्यादा है. दिसंबर में भारत का कच्चे तेल का इंपोर्ट वॉल्यूम 19.6 मिलियन टन रहा, जो पिछले वर्ष के इसी महीने में इंपोर्टिड वॉल्यूम 19.8 मिलियन टन से थोड़ा कम है. इसके बाद नवंबर में 2 फीसदी की कमी आई.एलएनजी का इंपोर्ट बिल भी हुआ कमदिसंबर में लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) के इंपोर्ट में भी साल-दर-साल 12.1 फीसदी का इजाफा हुआ है, जो 2,393 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (एमएमएससीएम) तक पहुंच गया.
अप्रैल-दिसंबर की अवधि में कुल 22,856 एमएमएससीएम का इंपोर्ट हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14.2 फीसदी अधिक है. दिसंबर में एलएनजी इंपोर्ट ज्यादा होने के बावजूद, वैल्यू 1.1 अरब डॉलर पर स्टेबल देखने को मिली. अप्रैल-दिसंबर में कुल इंपोर्ट वैल्यू वित्त वर्ष 2023 की समान अवधि में 13.7 बिलियन डॉलर से गिरकर 9.9 बिलियन डॉलर हो गई.बढ़ गया पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का कंजंप्शनपीपीएसी रिपोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान भारत के पेट्रोलियम प्रोडक्ट की कंजंप्शन में 4.9 फीसदी का इजाफा हुआ है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 164.60 एमएमटी की तुलना में 172.7 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) तक पहुंच गया है.