नई दिल्ली :· भगवान जानते हैं कि कौन से माता-पिता बेटियों का भार सहन कर सकते हैं और सही तरह से उनका पालन पोषण कर सकते हैं. इसलिए वे ऐसे घरों का चयन करते हैं, जो बेटियों के लिए उपयुक्त हों.
गरुड़ पुराण में एक कथा का वर्णन मिलता है. इस कथा में श्री कृष्ण बताते हैं कि बेटियां किन घरों में पैदा होती हैं. कथा के अनुसार एक दिन अर्जुन और श्री कृष्ण बैठे हुए थे. दोनों जन्म-मरण के बारे में बातें कर रहे थे. उसी दौरान अर्जुन ने श्री कृष्ण से सवाल किया कि माधव किन कर्मों के कारण, किसी भी माता-पिता को कन्या रत्न की प्राप्ति होती है? यानि कैसे घरों को भगवान बेटियों के जन्म के लिए चुनते हैं?
तब श्री कृष्ण बोलते हैं, अर्जुन! अगर किसी के घर पुत्र का जन्म होता है तो वह उसका भाग्य है, लेकिन अगर किसी के घर पुत्री का जन्म होता है तो वह उसके लिए सौभाग्य की बात है. बेटे अगर भाग्य से मिलते हैं तो बेटियां सौभाग्य वालों को ही मिलती हैं. जो स्त्री-पुरुष अपने पूर्वजन्म में अच्छे कर्म करते है उन्हें ही बेटी के माता-पिता होने का सौभाग्य मिलता है. आगे श्री कृष्ण कहते हैं, बेटियों के जन्म के लिए ऐसे घरों को ही ईश्वर चुनते हैं, जो बेटियों का भार सहन कर सकें.
धन होते हुए भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बेटियों का भार सह नहीं सकते. जबकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो गरीब होते हुए भी बेटियों को बड़े ही प्रेम से पाल सकते हैं. सृष्टि के रचियता पहले से ही जानते रहते हैं कि कौन बेटियों के लिए अच्छे माता-पिता हो सकते हैं.
श्री कृष्ण अर्जुन से आगे कहते हैं, पार्थ वह बेटियां ही है जो इस सृष्टि को चलाती हैं. जिस दिन इस सृष्टि में बेटियों का जन्म लेना बंद हो जाएगा, उस दिन ये सृष्टि रुक जाएगी. फिर कुछ ही दिनों में इस सृष्टि का विनाश हो जाएगा. वह बेटियां ही हैं जो पुत्री के रूप में माता-पिता को सबसे ज्यादा प्यार देती हैं. फिर जब वह शादी के बाद ससुराल जाती है तो, वहां बहु और पत्नी के रूप में अपना प्रेम बांटती हैं. उसके बाद जब वह मां बनती हैं तो, अपने बच्चे पर सर्वश्व लुटा देती हैं. बेटा तो एक कुल चलाता है, लेकिन बेटियां दो कुलों का नाम रोशन करती हैं.