मध्य प्रदेश:- भाजपा में परिवारवाद पर रोक या फिर परिवार में एक ही टिकट दिए जाने के फार्मूले के कारण राजनीतिक विरासत के माध्यम से विधानसभा और लोकसभा तक पहुंचने का सपना संजोने वाले नेता पुत्रों के सपने चकनाचूर होते दिख रहे हैं। इनमें से एक बुधनी विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में प्रबल दावेदारी जताने वाले कार्तिकेय सिंह चौहान भी हैं। वह केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे हैं।
टिकट न मिलने के बाद अब संगठन चुनाव में भी इन नेता पुत्रों की कोई पूछपरख नहीं है। बता दें, पिछले दिनों लोकसभा चुनाव और कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत को पार्टी ने परिवारवाद को बढ़ावा न देने की उपलब्धि भी करार दिया। यही वजह है कि जो नेता पुत्र हमेशा से राजनीति में आगे दिखाई देते थे, वे अब मैदान से ही गायब हैं।
राजनीति में जमकर सक्रिय थे
ऐसे नेता पुत्रों में पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र सिंह तोमर, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय, पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ, पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व. प्रभात झा के बेटे तुष्मुल शामिल हैं।
ये सभी पहले राजनीति में जमकर सक्रिय थे। इधर, भाजपा अपने इस फार्मूले के तहत आकाश विजयवर्गीय और जालम सिंह पटेल के टिकट पहले ही काट चुकी है।
बुधनी में सक्रिय थे कार्तिकेय सिंह
बता दें, कार्तिकेय सिंह वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले से बुधनी में सक्रिय हैं। शिवराज सिंह के लोकसभा सदस्य बन जाने से बुधनी विधानसभा सीट खाली हुई तो कार्तिकेय को उपचुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद थी।
प्रदेश भाजपा चुनाव समिति ने कार्तिकेय का नाम पैनल में दूसरे नंबर पर भेजा भी था लेकिन केंद्रीय नेतृत्व द्वारा टिकट नहीं दिया गया। कार्तिकेय के लिए तो यह झटका था ही, अन्य नेता पुत्रों के लिए भी यह मायूस करने वाला निर्णय रहा।
10 साल से राजनीति में सक्रिय हैं देवेंद्र तोमर
इसी तरह, पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र सिंह तोमर (रामू) भी लगभग 10 वर्ष से राजनीति में सक्रिय हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में उन्हें टिकट मिलने की उम्मीद थी पर पार्टी ने नरेंद्र सिंह तोमर को ही विधानसभा चुनाव मैदान में खड़ा कर दिया। इससे देवेंद्र की संभावना समाप्त हो गई।
सागर जिले की रहली विधानसभा सीट से नौ बार के विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भी बेटे अभिषेक को स्थापित करना चाहते हैं। वह दमोह या खजुराहो से लोकसभा चुनाव के टिकट के लिए दावेदारी भी कर रहे थे।
सिद्धार्थ मलैया भी टिकट की दोवदारी कर रहे थे
उन्होंने विधानसभा चुनाव का भी टिकट मांगा लेकिन पार्टी ने तवज्जो नहीं दी। उधर, दमोह से वर्ष 2023 में सातवीं बार विधायक बने और पूर्व मंत्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ वर्ष 2021 के उपचुनाव में यहां भाजपा से टिकट की दावेदारी भी कर रहे थे, पर पार्टी ने कांग्रेस से आए राहुल लोधी को उतारा। राहुल चुनाव हारे तो मलैया परिवार पर भितरघात का आरोप लगा। सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया था।
मौसम बिसेन को आगे बढ़ा रहे थे
वह अप्रैल, 2023 में पार्टी में शामिल तो हो गए, पर पार्टी ने फिर जयंत मलैया हो ही यहां से टिकट दिया। बालाघाट से विधायक व पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी मौसम को आगे बढ़ा रहे थे। उन्हें विधानसभा का टिकट भी मिला था पर लड़ने से मना कर दिया तो अंतत: बिसेन को ही चुनाव लड़ना पड़ा। अब गौरीशंकर बिसेन बेटी को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए जोड़-तोड़ कर रहे हैं।