नई दिल्ली:– हिन्दू धर्म में तुलसी को देवी के समान पूजा जाता है और श्री हरि विष्णु लड्डू गोपाल को भोग लगाने के दौरान अगर तुलसी का पत्ता न डाला जाए तो इसे अधूरा भोग कहा जाता है. इतना ही नहीं लक्ष्मी मां को भी तुलसी बहुत प्रिय होती है. इसलिए कहते हैं कि घर में सुख शांति और समृद्धि चाहते हैं तो ईशान कोण में तुलसी का पौधा जरूर लगाना चाहिए और भगवान का भोग भी तुलसी के बिना पूरा नहीं होता. वैसे तो भगवान को भोग में अर्पित करने के दौरान कहा जाता है कि उन्हें बासी चीजें नहीं चढ़ानी चाहिए, लेकिन क्या कभी तुलसी की पत्ती भी बासी होती है और उसका इस्तेमाल दोबारा किया जा सकता है या नहीं आइए हम आपको बताते हैं.
स्कंद पुराण के अनुसार, तुलसी अगर तोड़कर रखी भी है तो भी ये बासी नहीं मानी जाती, क्योंकि तुलसी कभी अपवित्र नहीं होती है. तुलसी की पत्ती और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं माने जाते हैं. जबकि फूल और भगवान पर चढ़ाया हुआ जल बासी हो जाता है और इसे दोबारा पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. आप तुलसी की पत्तियों और मंजरी को तोड़कर इकट्ठा स्टोर करके भी रख सकते हैं और इस्तेमाल की तुलसी की पत्ती दोबारा पूजा में भी यूज किया जा सकता है.
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, तुलसी को कभी भी इतवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए, ना इसमें जल अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा बुधवार और एकादशी के दिन भी तुलसी की पत्तियों को छूना वर्जित माना जाता है. ऐसे में आप पहले से ही तुलसी की पत्तियों को तोड़कर रख सकते हैं. ध्यान रखें कि तुलसी के पौधे को कभी भी अशुद्ध अवस्था में नहीं छूना चाहिए, इसके पास गंदे कपड़े, चप्पल आदि रखने से भी बचना चाहिए, नहीं तो तुलसी का पौधा सूख जाता है. तुलसी के पौधे के पास सुबह शाम घी का दीपक जरूर लगाना चाहिए और दीपदान भी करना चाहिए. दीपक लगाने के अलावा तुलसी के पौधे की तीन बार परिक्रमा भी करनी चाहिए, इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती हैं.
ब्रह्म मुहूर्त में तोड़े तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्ते तोड़ने का सबसे उपयुक्त समय ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है. तुलसी जी के पत्ते तोड़ने से पहले स्नान करें और अपने इष्टदेव की आराधना करें. अब तुलसी जी की पूजा करें. उनसे उनके पत्तों को तोड़ने की इजाजत लें और एक बार में ज्यादा से ज्यादा 21 पत्ते ही तोड़ें. ऐसा करने से मां तुलसी की कृपा बनी रहती है.