नई दिल्ली:– हिन्दू धर्म में नाग पंचमी पर्व का बहुत महत्व है जो हर साल भगवान शिव के प्रिय महीने सावन में आता है। अबकी बार नागपंचमी 9 अगस्त, शुक्रवार को है। इस दिन भगवान शिव के गण माने जाने वाले नाग देवता की घर-घर में पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से धन बढ़ता है और सर्पदंश का भय दूर होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव बहुत ही प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं।
हिंदू धर्म में नागों को एक विशेष स्थान दिया जाता है और उन्हें पूजा जाता है। नाग पंचमी के दिन लोग नागों की पूजा करते हैं और दूध और अन्य खाद्य पदार्थ चढ़ाते हैं। कई लोग विशेष रूप से नागों या सांपों से जुड़े मंदिरों में जाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नाग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है और क्यों इस दिन नागों की विशेष रूप से पूजा आदि की जाती है ?
क्या है नाग पंचमी से जुड़ी कथा
नाग पंचमी की पौराणिक कथा के अनुसार, राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सांप के काटने की वजह से हुई थी। इस बात का बदला लेने के लिए अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने नागों के वंश को खत्म करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया था। तब नागों की रक्षा करने के लिए ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने जन्मजेय के इस यज्ञ को रुकवाया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सावन की पंचमी तिथि थी। आस्तिक मुनि ने जन्मजेय के प्रकोप से नागों को बचाने के लिए उनकी मदद की और उन्हें शीतलता देने के लिए उनके शरीर पर दूध डाला। मदद के तौर पर तब नागों ने आस्तिक मुनि को वचन दिया कि पंचमी के दिन जो कोई उनकी पूजा करेगा उसे कभी भी सर्पदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से सावन की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है।
कैसे करें नाग पंचमी की पूजा
नाग पंचमी पर भगवान शिव के साथ-साथ उनके प्रिय गण नाग देवता की विशेष तौर से पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन पूजा करने के लिए घर के दरवाजे के दोनों ओर 8 की संख्या में नागों की आकृति बनाएं। फिर हल्दी, घी, दूध, रोली, चावल, फूल आदि से नाग देवता की पूजा करें। आप इस दिन शिवालयों में जाकर भी तांबे के नाग की पूजा कर सकते हैं। इस दिन नाग देवता के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा भी करें। इस दिन रुद्राभिषेक करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है। पूजा में नाग पंचमी व्रत कथा का पाठ भी करें।