नई दिल्ली:– हिन्दू धर्म में लोग गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदी में पापu धोने के लिए जाते हैं. लेकिन फिर वही गंगा जल साथ लाकर अपने घरों में छिड़कते हैं, तो क्या जो जल हम अपने साथ लाते हैं उसमें सबका पाप होता है ? ऐसे सवाल बहुत लोगों के मन में आता है. ऐसा ही एक सवाल लेकर जब एक शख्स ने प्रेमानंद जी महाराज से सवाल पूछा तो उन्होंने कुछ ऐसा कहा, जिससे सभी हैरान रह गए. ऐसे में आइए जानते हैं कि वृन्दावन वाले प्रेमानंद जी महाराज ने श्रद्धालु के इस प्रश्न का क्या उत्तर देते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज ने दिया ये जवाब
दरअसल, प्रेमानंद जी महाराज से जानना चाहता था कि जब हम तीर्थ स्थलों पर जाते हैं, जैसे कि गंगा और यमुना, तो लोग कहते हैं कि हम पाप धोने जा रहे हैं. लेकिन जब हम वहां से गंगाजल लेकर घर आते हैं और उसे छिड़कते हैं, तो क्या हम अनजाने में उन तीर्थस्थलों पर गए लोगों के पाप भी अपने घर ले आते हैं. इस सवाल पर प्रेमानंद जी महाराज को बहुत हंसी आई और उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता है. गंगा जी को कभी कोई मलिन नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि हम गंगा में अवगाहन करते हैं, गंगा जी को नमस्कार करते हैं तो उनके प्रभाव से हमारे पाप नष्ट हो जाते हैं. पाप नष्ट होने का मतलब यह नहीं है की यह पाप गंगा पर चढ़ जाते है. इसका मतलब है कि उन पापों का प्रभाव नष्ट हो जाता है. महाराज जी ने बताया कि ऐसा नहीं होता है कि, गंगा में आपने कमंडल डाला और जल के साथ उसमें पाप भी भर गए. ऐसा भाव मन में कभी नहीं रखना चाहिए.
डॉक्टर का दिया ये उदाहरण
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, गंगा जी हमारे पापों को नष्ट कर देते हैं. जैसे जब कोई रोग होता है और डॉक्टर के द्वारा उसे ठीक किया जाता है तो वह रोग डॉक्टर पर न जाकर खत्म हो जाता है, वैसे ही गंगा जी हमारे पापों को नष्ट कर देते हैं. उन्होंने बताया कि यमुना जी, गंगा जी, वृन्दावन धाम, काशीपुरी, मथुरा, अयोध्या ये सब परम पावन भगवान की लीला भूमि धाम है. जब हम यहां प्रवेश करते हैं, तो हमारे जो आपराधिक प्रवृत्तियों से पाप हुए हैं, वो नष्ट हो जाते हैं और जब हम जल उठाकर ले जाते हैं तो उसमें पाप नहीं होता क्योंकि वो जल तो परम पवित्र है.