कानपुर: कानपुर के लाला लाजपत राय अस्पताल के बाल रोग विभाग ने जब 180 रोगियों की स्क्रीनिंग की तो इन 14 मरीजों की पहचान हुई है। हालांकि, डॉक्टरों की ओर से कहा जा रहा है कि ये पिछले 10 साल के आंकडे़ हैं। बाल रोग विभाग के अध्यक्ष का कहना है कि अभी यह भी साफ नहीं है कि इन संक्रमित बच्चों को सरकारी अस्पताल से खून चढ़ा है या निजी अस्पताल से।
कानपुर मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार आर्या ने बताया की थैलिसीमिया से पीड़ित मरीजों को हर 3 से 4 हफ्ते के बीच ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इस तरह साल में 16 से 24 बार खून चढ़वाना पड़ता है। ऐसे में मरीजों को संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। लगातार इसकी जांच करवाई जाती है कि अगर किसी तरह का संक्रमण हुआ हो तो उसका इलाज किया जा सके।
डॉ. अरुण कुमार आर्या ने बताया कि थैलिसीमिया से पीड़ित मरीजों की स्क्रीनिंग हर 3 से 4 महीने के बीच में की जाती है। स्क्रीनिंग में देखा जाता है कि उन मरीजों में कितना सुधार हो रहा है या फिर कोई अन्य बीमारी तो नहीं अटैक कर रही है। इस स्क्रीनिंग में 14 लोगों में संक्रमित होने की बात सामने आई है। डॉ. आर्या ने बताया कि सात मरीजों में हेपेटाइटिस B, 5 मरीजों में हेपेटाइटिस C और 2 मरीजों में HIV संक्रमण की पुष्टि अभी तक हुई है। इन सभी मरीजों को अलग-अलग सेंटरों पर खून चढ़ाया गया है। विंडो पीरियड में संक्रमण की जांच नहीं हो पाती थी।