डिमेंशिया और अलजाइमर दोनों ही बीमारियां अलग हैं लेकिन इसके लक्षण कुछ-कुछ मिलते जुलते हैं. इसमें इंसान को शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस, बार-बार कन्फ्यूजन की स्थिति, रोजमर्रा के काम करने के दौरान भ्रम महसूस होना, अलग-थलग महसूस करना, व्यवहार में बदलाव, फैसले लेने में दिक्कत आना, बोलने में परेशानी होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. डिमेंशिया और अल्जाइमर को बढ़ती उम्र की बीमारी माना जाता है, लेकिन अब कम उम्र में भी इन बीमारियों के मामले देखने में आने लगे हैं. फिलहाल अब हाल ही में एक स्टडी आई है जिसमें कहा गया है कि मछली के रेगुलर इंटेक से डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से बचाव हो सकता है.अल्जाइमर या फिर डिमेंशिया होने के पीछे जेनेटिक रीजन हो सकते हैं यानी माता-पिता को ये समस्या रही हो या फिर सिर में कोई चोट लगना, बढ़ती उम्र, आदि वजह हो सकती हैं.
इसके अलावा ज्यादा धूम्रपान, अल्कोहल लेना, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल आदि वजह भी अल्जाइमर और डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ा देती हैं, फिलहाल जान लेते हैं कि कैसे मछली खाने से इन बीमारियों का जोखिम कम किया जा सकता है और एक्सपर्ट की इसपर क्या राय है.क्या कहती है स्टडी?एजिंग क्लीनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल रिसर्च में छपी एक स्टडी में मछली के सेवन और भूलने की समस्या के जोखिमों को कम करने के बीच संबंध होने की बात कही गई है. स्टडी में पाया गया कि जो लोग मछली खाते हैं उनमें मछली न खाने वाली को तुलना में संज्ञानात्मक हानी यानी मेमोरी लॉस होने का जोखिम कम है. इसलिए यह माना गया कि मछली के सेवन से डिमेंशिया और अल्जाइमर के जोखिम को कम किया जा सकता है
डिमेंशिया-अल्जाइमर का जोखिम कितना होगा कमइस स्टडी में शोधकर्ताओं ने दुनियाभर के 849,000 से लोगों की खानपान संबंधित आदतों की निगरानी की और पाया कि जो लोग नियमित रूप से मछली खाते थे उनमें मेमोरी लॉस की संभावना कम थी, हालांकि किसी भी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी को बढ़ने से धीमा या फिर पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इससे पता चलता है कि लाइफस्टाइल और डाइट के ऑप्शन अच्छे रखने से मस्तिष्क को हेल्दी रखा जा सकता है, जिससे इन बीमारियों की संभावना को कम किया जा सकता है. स्टडी के मुताबिक, मछली का ज्यादा सेवन डिमेंशिया के जोखिम को 18 प्रतिशत तक कम करता है तो वहीं अल्जाइमर का जोखिम 15 प्रतिशत तक कम होता है.
मछली खाना एक बचाव का एक ऑप्शन है लेकिन अगर किसी में यह समस्या अनुवांशिक है या फिर सिर में चोट आदि लगना कारकों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है.मछली क्यों है फायदेमंद?दरअसल मछली अच्छे प्रोटीन का सोर्स है और इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो मस्तिष्क को कोशिकाओं की रक्षा करने में सहायक है. इसके अलावा भी मछली में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो न सिर्फ मेंटली स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलता है.क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
आजकल कम उम्र में भी डिमेंशिया आदि के मामले देखने में आने लगे हैं, जिसे लेकर हेल्थ एक्सपर्ट समीर भाटी का कहना है कि कम उम्र में इस तरह की बीमारियां होने के पीछे काफी हद तक अनहेल्दी लाइफस्टाइल जिम्मेदार होता है, इसलिए अगर डेली रूटीन में छोटे बदलाव भी किए जाएं तो इससे बचा जा सकता है. जैसे वेट को कंट्रोल में रखना, धूम्रपान न करना, अल्कोहल सीमित मात्रा में लें. साथ ही बढ़ते वजन को भी कंट्रोल में रखना चाहिए. हेल्दी ब्रेन के लिए विटामिन बी12 की कमी नहीं होने देना चाहिए और इसके मुख्य सोर्स अंडा, दूध, अन्य डेयरी प्रोडक्ट, मछली और जानवरों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थ होते हैं.