कोरबा कटघोरा :- कटघोरा को जिला बनाया जाना क्षेत्रवासियों की मांग ही नही बल्कि उनका अधिकार भी है. सरकार को चाहिए था कि इसकी घोषणा बहुत पहले हो जानी चाहिए थी. कलेक्टर रहते हुए उन्होंने कटघोरा क्षेत्र का पूरा भौगोलिक, जनसांख्यिक अवलोकन किया था. वे इस मांग के पुरजोर पक्षधर है कि विकास और जनकल्याण की दृष्टि से कटघोरा तहसील को कोरबा मुख्यालय से पृथक कर तत्काल जिला मुख्यालय का दर्जा दिया जाना चाहिए. यह संसाधनों और सम्भावनाओं से परिपूर्ण प्रदेश का सबसे बेस्ट जिला साबित होगा. आने वाली सरकार कटघोरा जिले का मॉडल राष्ट्रीय तौर पर भी पेश करेगी. उक्त बातें कोरबा के पूर्व कलेक्टर, सेवानिवृत्त आईएएस अफसर आरपीएस त्यागी ने कही. कोरबा प्रवास के दौरान वे एडीजे कोर्ट स्थित अधिवक्ताओ के धरना स्थल पहुंचे और कटघोरा जिला अभियान को अपना नैतिक समर्थन दिया. बार एसोसिएशन के सदस्यों ने त्यागी से सौजन्य भेंट करते हुए समर्थन के लिए उनका आभार भी व्यक्त किया.
आरपीएस त्यागी कटघोरा पहुंचने पर धरना स्थल पर पहुंचे और वरिष्ठ अधिवक्ताओं से इस बारे में बातचीत भी की. मीडिया से हुई चर्चा में उन्होंने बताया कि ब्रिटिश काल मे कटघोरा को तहसील के दर्जा दिया गया था. यह प्रदेश का सबसे पुराना तहसील भी है. खनिज, वन्य, और मानव संसाधनों से परिपूर्ण कटघोरा तहसील को जिला बनाया जाना नितांत जरूरी है ताकि क्षेत्र का समावेशी विकास संभव हो सके. सरकार के लिए कटघोरा हर उस मापदण्ड को पूरा करता है जो जिला निर्माण के लिए जरूरी है. बस्तर में एक-एक तहसील वाले क्षेत्रों को जिले का दर्जा दिया गया है जबकि कटघोरा में अभी चार बड़ी तहसीले है. एक पूर्व प्रशासनिक अफसर रहते हुए उन्होंने जिन तथ्यों को परखा है उसके आधार पर वह कह सकते है कि कटघोरा को बहुत पहले ही जिला बना दिया जाना चाहिए था हालांकि वे हैरान भी है कि अतीत में पूर्ववर्ती सरकारों ने ऐसा क्यों नही किया.
अधिवक्ताओं के आंदोलन के सम्बंध में उन्होंने कहा कि तहसील क्षेत्र में बीते 178 दिनों से जारी इस धरना प्रदर्शन की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है. बुद्धिजीवी वर्ग अपने अधिकारों के लिए जिस तरह से शांतिपूर्ण ढंग से यह प्रदर्शन कर रहा है यह एक उदाहरण है. यह मिशाल है कि किसी भी मांग के लिए हिंसक होने के बजाए शांति और सद्भाव के साथ आगे बढ़ा जा सकता है. अपने हक के लिए यह लड़ाई जारी रहनी चाहिए. यदि राज्य सरकार ने 26 जनवरी को जिले की घोषणा नही की तो उन्हें इसका ऐलान स्वतंत्रता दिवस तक कर देना चाहिए. काफी समय से वह भी सुनते आ रहे है कि छत्तीसगढ़ में 36 जिले होने चाहिए लेकिन उस सूची में कटघोरा का भी नाम होना चाहिए. वे यहां के नागरिकों, अधिवक्ताओं और युवाओं के इस आंदोलन से अभिभूत है. आरपीएस त्यागी ने इस बात पर भी चिंता जाहिर किया कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि अपने प्रयासों में अब भी पीछे है. उन्हें सामने आकर जनता की आवाज बुलंद करनी चाहिए, इस आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथों में लेकर सामने आना चाहिए.
इस पूरे कार्यक्रम के दौरान त्यागी के साथ बार एसोसिएशन कटघोरा क्षेत्र के वरिष्ठ पदाधिकारी, अन्य अधिवक्तागण, पत्रकार बन्धु व आम नागरिक धरना स्थल पर उपस्थित रहे.