सरकार के एक एक्सपर्ट पैनल ने भारत की बायोलॉजिकल ई द्वारा निर्मित कोर्बिवैक्स को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इसे अब अंतिम मंजूरी के लिए दवा नियंत्रक महानिदेशक (डीसीजीआई) के पास प्रस्तावित किया गया है। अगर इस वैक्सीन को डीसीजीआई भी मंजूर कर लेता है तो यह 15 साल से कम उम्र के लोगों को लगने वाली पहली वैक्सीन होगी। इसे फिलहाल 12-18 साल के बच्चों और किशोरों को लगाने के लिए प्रस्तावित किया गया है।
न्यूज एजेंसी के सूत्रों ने दावा किया कि सरकार ने अब तक 15 साल से कम के बच्चों को टीका लगाने पर फैसला नहीं लिया है। हालांकि, नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हाल ही में कहा था कि ज्यादा से ज्यादा आबादी को टीका दिए जाने की जरूरत पर विचार हो रहा है।
डीसीजीआई पहले ही कोर्बिवैक्स को मंजूरी दे चुका है। यह भारत की पहली प्रोटीन आधारित वैक्सीन है। इसे भारत में ही विकसित किया गया है। इसे दवा नियामक की तरफ से 28 दिसंबर को मंजूरी दी गई थी। हालांकि, डीसीजीआई ने इसे अब तक आपात इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी है, जिसकी वजह से यह टीका देश के टीकाकरण अभियान का हिस्सा नहीं है।
अपने आवेदन में डीसीजीआई ने क्या कहा था?
इससे पहले डीसीजीआई को 9 फरवरी को भेजे गए आवेदन में बायोलॉजिकल ई के गुणवत्ता और नियामक मामलों के प्रमुख श्रीनिवास कोसाराजू ने कहा कि उनकी कंपनी को सितंबर 2021 में ही पांच से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज की क्लीनिकल स्टडी की मंजूरी मिल गई थी।
उन्होंने कहा, “निषेधाज्ञा प्रमाणपत्र के आधार पर बायोलॉजिकल ई ने अक्तूबर 2021 में क्लीनिकल स्टडी शुरू कर दी थी। अब हमने दूसरे और तीसरे फेज के परीक्षण से मिले सुरक्षा और प्रभावशीलता के नतीजों को परखने के बाद पाया है कि टीका पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है।”
क्या है कोर्बिवैक्स टीके की खासियत?
कोर्बिवैक्स टीका इंट्रामस्क्युलर यानी मांसपेशियों के रास्ते लगाया जाता है। इसकी दो खुराक 28 दिनों के अंतराल पर दी जाती है। कोर्बिवैक्स 0.5 मिलीलीटर (एकल खुराक) और 5 मिलीलीटर (दस खुराक) की शीशी में उपलब्ध है। इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर संरक्षित किया जाता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बायोलॉजिकल-ई ने भारत में पहले/दूसरे और दूसरे/तीसरे दौर का क्लीनिकल परीक्षण किया है। मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा कंपनी ने कोविशील्ड के मुकाबले इसकी श्रेष्ठता का मूल्यांकन करने के लिए तीसरे चरण का सक्रिय तुलनीय क्लीनिकल परीक्षण भी किया है।