नई दिल्ली :- हर वर्ष 27 जुलाई को विश्व हेड नेक कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व भर में हेड नेक कैंसर बीमारी के 60 फीसदी मरीज भारत में ही पाए जाते हैं। हर वर्ष इस बीमारी के 5 लाख से ज्यादा नए मरीज भारत में सामने आ रहे हैं। पुरुषों में यह सबसे ज्यादा पाए जाने वाला कैंसर है। सही समय पर इलाज ना होने के कारण इस बीमारी के चलते कई मरीजों की मौत तक हो जाती है।
हेड नेक कैंसर होने के मुख्य कारण
तंबाकू
गुटका
पान-मसाला
बीड़ी
सिगरेट
सुपारी
शराब
इन जगह होता है हेड नेक कैंसर
मुंह
गला
स्वरयंत्र
थायराइड
इसके मुख्य लक्षण
मुंह में छाले
गाल में लाल-सफेद दाग
दांतों का ढीला
आवाज में बदलाव आना
खाना निगलने में दर्द
गले में गठान
ऐसे में सही समय पर कैंसर विशेषज्ञों को दिखाना चाहिए, जिससे शुरूआती दौर में ही इलाज शुरू कर इसे ठीक किया जा सकें।
आमतौर पर यह भ्रांति है कि बायोप्सी द्वारा कैंसर फैलता या बढ़ता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है, यह आपकी बीमारी के सही इलाज में सहायक होता है। कैंसर की जांच के दौरान डॉक्टर एंडोस्कोपी, सीटी स्कैन, एमआरआइ और पेट स्कैन का सहारा लेते हैं।
कैंसर विशेषज्ञों से कराएं जांच
डा. अपूर्व गर्ग, हेड एंड नेक कैंसर सर्जन ने कहा कि आधुनिक पद्धति से इसके इलाज में सर्जरी, रेडियोथैरेपी, कीमोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी का उपयोग होता है। प्लास्टिक सर्जरी, स्पीच थेरेपी से मरीज काफी हद तक सामान्य जीवन जी सकते हैं। समय पर इलाज कराना ही हेड और नेक कैंसर का सबसे अच्छा उपाय है। तंबाकू, पान मसाला, सिगरेट गुटका और शराब का सेवन न करें। कैंसर विशेषज्ञ द्वारा अपनी स्क्रीनिंग जांच करवाए।