इंदौर:- होली आ गई है, 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को धुलेंडी होगी. हालांकि, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की होली रंग पंचमी से शुरू होती है. इंदौर की इस होली को गेर कहा जाता है जो पूरे देश में मशहूर है. आगामी 19 मार्च को रंग पंचमी पर होने वाली इस गेर की शुरुआत इंदौर में दशकों पहले हुई थी. ये गेर इतनी भव्यता के साथ निकाली जाती है कि इसमें पूरा शहर एक साथ रंग खेलता नजर आता है. इस आर्टिकल में जाने इंदौर की गेर की पूरी कहानी.
क्या है गेर? कैसे हुई इंदौर में गेर की शुरुआत?
दरअसल, इंदौर में गेर शब्द ‘घेर’ शब्द से निकलकर आया है, जिसका अर्थ है घेरना. यहां गेर की शुरुआत करने वाले गिरि परिवार की तीसरी पीढ़ी के शेखर गिरि बताते हैं कि वे बीते 70 साल से इसी तरह गेर देखते आ रहे हैं. उनके पहले उनके पिता और दादा गेर निकालते थे. उस दौरान शहर के टोरी कॉर्नर पर रंगपंचमी के दिन सुबह से ही रंग से भरा कढ़ाव भरकर सड़क पर ही रख दिया जाता था, इसके बाद जो भी यहां गुजरता था उसे स्थानीय होली खेलने वाले घेरकर रंग से भरे कढ़ाव में डाल देते थे. उस दौरान होली खेलते-खेलते लोग टोरी कार्नर से फिर एकत्र होकर एक दूसरे पर रंग डालते हुए राजवाड़ा तक जाते थे.
इसके बाद यह एक उत्सवी परंपरा बन गई, जिसमें पराए या गैर को रंग लगाकर अपना बना लेने की मान्यता है. हालांकि, बाद में इस रंगीन परंपरा को गेर के नाम से जाना जाने लगा और अब गेर निकालने वाले कई आयोजक हैं.
ऐसे निकलती है इंदौर की गेर
रंगपंचमी के दिन गुलाल और फाग की मस्ती में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में लोग शहर के राजवाड़ा पहुंचते हैं. इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल होते हैं. सुबह के 11 बजते ही शहर के विभिन्न क्षेत्रों से फाग यात्राएं निकलना शुरु होती हैं. इन फाग यात्रा में लोग पानी के विशाल टेंकर, रंग उड़ाने वाली तोप प्रेशर वाले रंगीन फव्वारे और गुलाल आसमान में उड़ाने के तमाम साधनों के साथ चलते हैं. इस दौरान म्यूजिक और डीजे की धुन पर लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते और नाचते गाते गुजरते हैं.
इस दौरान राजबाड़ा सुबह से ही सतरंगी रंग में डूबा जाता है. यहां फाग यात्रा के दौरान उड़ाए जाने वाले रंग से आसमान पर कई रंग नजर आने लगते. इस दौरान यात्रा मार्ग में जो भी मिलता है, उसे लोग रंग लगाते हैं.
ये होता है यात्रा इंदौरी गेर का रूट
गेर निकालने वाले आयोजक यात्रा निकालने वाले स्थान से जाने जाते हैं, जिसमें गेर टोरी कॉर्नर महोत्सव समिति, संगम कार्नर, मॉरल क्लब, रसिया कॉर्नर, राधाकृष्ण फाग यात्रा, श्री कृष्ण फाग यात्रा, संस्था संस्कार, बाणेश्वर समिति, माधव फाग यात्रा आदि हैं, जो शहर के कैलाश मार्ग राजमोहल्ला से होते हुए संगम कॉर्नर, गोराकुंड, राजवाड़ा, बड़ा सराफा, इतवारिया बाजार होते हुए पुनः टोरी कॉर्नर पर समाप्त होती है. वही कुछ अन्य गेर अन्य रूट से भी निकलकर मुख्य गेर में शामिल हो जाती हैं, जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा शहर ही सड़कों पर आ गया हो.
19 मार्च को निकलेगी रंगारंग गेर
इंदौर में आगामी 19 मार्च को रंग पंचमी का पर्व परम्परागत रूप से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. इस दिन शहर के निर्धारित मार्गों से रंगारंग गेर भी निकाली जाएगी. पूरा शहर रंगों से सराबोर रहेगा. हालांकि, गेर में हुड़दंग करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई भी हो सकती है. इसे लेकर कलेक्टर कार्यालय में पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह और कलेक्टर आशीष सिंह की उपस्थिति में गेर आयोजन की तैयारियां और व्यवस्थाएं तय की गईं. यात्रा के दौरान तमाम नियमों के पालन करने की सलाह दी गई है.
यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल करने के प्रयास जारी
इंदौर की गेर में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने के प्रयास हो रहे हैं. बीते वर्षों में कोवि प्रोटोकॉल के चलते यह संभव नहीं था. हालांकि अब फिर इस रंगारंग आयोजन को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए भारत सरकार के संस्कृति विभाग से पहल की गई है.