मध्यप्रदेश:- दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषण की वजह से तारे बारिश के बाद कभी-कभी दिखते हैं. लेकिन गांवों के आसमान आज भी इन तारों की चमक से आबाद रहते हैं. बचपन में अक्सर बच्चे आसमान की ओर देख कर तारों की गिनती करते हैं, लेकिन ये गिनती इतनी लंबी होती है कि उसे पूरा किया जाना लगभग असंभव है. हालांकि, अब कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उनके पास इस सवाल, आसमान में कितने तारे हैं? का जवाब है. चलिए आज इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर इस जवाब में कितना दम है और क्या सच में अब इंसानों के पास तारों की सही गिनती है.
क्या तारों की गिनती संभव है?
अमरीका के एक खगोलविद हैं कार्ल सगन. उन्होंने एक टीवी शो के दौरान दावा किया कि पृथ्वी पर जितने समुद्र तट हैं और वहां जितने बालू के कण हैं उससे भी ज्यादा ब्रह्मांड में तारे हैं. हालांकि, उनकी इस बात में कितना दम है, ये कह पाना फिलहाल मुश्किल है. लेकिन एक दावा जो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के खगोलविद प्रोफ़ेसर गैरी गिरमोर ने की है, उसमें दम लगता है. चलिए अब उस दावे के बारे में जानते हैं.
क्या है गैरी गिरमोर की थ्योरी?
गैरी गिरमोर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में खगोलविद प्रोफेसर हैं. इनका काम है हमारी आकाश गंगा में मौजूद तारों को ढूंढना. दरअसल, गैरी उस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत यूरोपीय स्पेस शिप के जरिए हमारी आकाश गंगा में मौजूद तारों की गिनती होती है. बीबीसी से बात करते हुए गैरी ने तारों की संख्या के बारे में कहा था कि हमारी आकाश गंगा में लगभग 20 हजार करोड़ तारे हैं. वहीं ब्रह्मांड की बात करें तो उनमें 10 हजार करोड़ आकाश गंगा हैं. यानी एक आकाश गंगा में 20 हजार करोड़ तारे और ब्रह्मांड में कुल 10 हजार करोड़ आकाश गंगा. इनका गुणा करें तो जो संख्या निकल कर आती है वो है 20000000000000000000000.