रांची:- ट्रेन में सफर के दौरान अक्सर लोगों के मन में एक सवाल जरूर आता है कि आम यात्री तो फ्रेश होने के लिए बोगी के वॉशरूम में चले जाते हैं, लेकिन ट्रेन का लोको पायलट, यानी ड्राइवर फ्रेश होने कहां जाते हैं. क्योंकि इंजन में वॉशरूम नहीं होता. तो आपको इस सवाल का जवाब ये आर्टिकल पढ़कर मिल जाएगा.
रांची रेल मंडल के सीनियर डीसीएम निशांत कुमार ने लोकेल 18 से कहा कि जब भी ट्रेन स्टेशन से शुरू होती तो लोको पायलट स्टेशन में अच्छे से फ्रेश पहले ही हो जाते हैं.ताकि उन्हें कम से कम दो-तीन घंटे तक वॉशरूम जाने की नौबत ना आए.ऐसा खासकर लोको पायलट को करने को कहा जाता है. ताकि ट्रेन चलाने के दौरान किसी प्रकार की बाधा बीच में ना आए.
अगर बीच में वॉशरूम लग जाए तब क्या करते
डीसीएम निशांत कुमार ने आगे कहा कि कई बार ऐसा होता है लोको पायलट स्टेशन पर फ्रेश होते हैं. लेकिन ट्रेन चलाने के दौरान भी उन्हें वॉशरूम जाने की नौबत आ जाती है. ऐसे में वह फौरन कंट्रोल रूम में सूचना करते हैं. कंट्रोल रूम से उन्हें आने वाले स्टेशन में ट्रेन रुकने की परमिशन मिल जाती है. वह स्टेशन में जाकर फ्रेश हो जाते हैं.उन्होंने बताया कि हालांकि ऐसा बहुत कम ही होता है. अगर ऐसा होता भी है तो आपने देखा होगा अमूमन एक या दो घंटे के भीतर कोई ना कोई स्टेशन आता ही है. ऐसे में लोको पायलट स्टेशन उतरकर फ्रेश समय-समय पर होते रहते हैं.लेकिन कुछ ट्रेन ऐसे होते हैं जैसे गरीब रथ या फिर राजधानी जो लंबे समय तक चलती है.
लंबी दूरी वाली ट्रेन में आती है थोड़ी मुश्किल
डीसीएम निशांत कुमार आगे बताते हैं कि कुछ ट्रेन है जो रात भर चलती है, जैसे राजधानी, दूरंतो या फिर गरीब रथ. इन ट्रेनों के लोको पायलट कंट्रोल रूम को सूचना देकर ट्रेन को चंद सेकेंड के लिए ट्रैक पर खड़े होकर फ्रेश हो लेते हैं, हालांकि उन्हें कंट्रोल रूम से जब तक सूचना नहीं मिलती तब तक वह ट्रेन को नहीं रोक सकते है.ग्रीन सिग्नल मिलाने पर ही ट्रेन को रोकते है.