लखनऊ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सचिव अतुल कुमार अनजान ने कहा है कि पिछले एक साल से चल रहे अभूतपूर्व किसान आंदोलन को सरकार के लिखित आश्वासन पर एवं कुछ मांगों को मान लेने पर स्थगित किया गया है और इसे समाप्त नहीं समझा जाना चाहिये।
अनजान ने बताया कि अगर सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिये स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें को लागू नहीं किया तो किसान फिर से आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतांत्रिक और गांधीवादी तरीके से चले इस किसान आंदोलन ने दुनिया में अपनी पहचान बना ली है।
अनजान के कहा कि आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की शहादत के बाद तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिये सरकार को विवश होना पड़ा। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों का किसान आंदोलन को जबरदस्त समर्थन मिला।
वरिष्ठ वामपंथी नेता ने कहा कि किसानों की मांगों पर सरकार द्वारा समिति बनाकर सभी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया गया है। इसमें स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करना भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि अनजान स्वामीनाथन आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं का समाधान यदि नहीं हुआ तो किसानों को अपने जीवन, परिवार और 80 फ़ीसदी ग्रामीण भारत के आर्थिक और सामाजिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए आंदोलन की राह पर उतरना पड़ेगा।