जब भी हमारे पैरों में दर्द या झुनझुनी जैसा कुछ महसूस होता है तो हम उसे छोटी – मोटी बीमारी समझ कर इगनोर कर देते हैं लेकिन हम उस समय यह नहीं समझ पाते कि ये एक गंभीर बीमारी का संकेत है। दरअसल ये डायबिटीज का लक्षण हो सकता है और आप सभी जानते हैं कि डायबिटीज कितनी जटिल बीमारी है।पैरों में दर्द और झुनझुनी हैं डायबिटीज के लक्षणएक्सपर्टस के अनुसार, डायबिटीज न्यूरोपैथी पैरों की नसों को नुकसान पहुंचाती है, इसकी वजह से पैरों में दर्द और झुनझुनी शुरू हो जाती है. इसके साथ ही यह पाचन तंत्र को भी प्रभावित करती है. इसे दिल की नसों को भी नुकसान पहुंचता है, जिसे दिल की बीमारियां बढ़ सकती है. कुछ लोगों में यह लक्षण हल्के तो कुछ में बहुत ही भयानंक तरीके से दिखाई देते हैं.
पैरों में आ सकते हैं छाले
पैरों में छाले होने की वजह भी डायबिटीज का संकेत हो सकता है. पैरों में घाव की दिक्कत दिखाई देती है. डायबिटीज के लगभग 15 से 20 प्रतिशत मरीजों में इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं. यह पैरों और तलवों में दिखते हैं. यह ब्लड शुगर हाई होने की भी एक प्रमुख वजह है.
एथलीट फुट की समस्या भी है डायबिटीज
पैरों में एथलीट फुट सहित पैर की जटिलताओं के विकास को प्रभावित करती है. एथलीट फुट एक संक्रमण है. इसमें पैरों में खुजलीख् लाल और दरारे आ जाती है. यह एक पैर में भी हो सकती है.
तलवों की खाल हो जाती है टाइट
डायबिटीज के लक्षणों में पैरों तलवों और अंगूठों, उंगलियों के बीच कठोर खाल निर्माण हो जाता है. यह पैर के नीचे भी कठोर त्वचा को बढ़ाते हैं. यह कई बार खराब फिटिंग वाले जूते या त्वचा की समस्या की वजह से भी होते हैं, जबकि कॉर्न जूतों के दबाव की वजह से होते हैं.
हाई ब्लड शुगर से नाखूनों हो जाता है इंफेक्शन
हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में आॅनिकोमाइकोसिस नामक फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. यह पैर की उंगलियों और नाखूनों को प्रभावित करता है. इसे पैरों के नाखून पीले पड़ जाते हैं. इनमें दरारें आ जाती है. नाखून भंगुर होकर उखड़ने लगते हैं. ऐसी स्थिति में ब्लड शुगर को कंट्रोल करना बेहद जरूरी होता है.
पैरों में गैंग्रीन की समस्या
डायबिटीज के रोगियों में पैरों में गैंग्रीन की समस्या भी हो सकती है. यह पैर के साथ ही उंगलियों को प्रभावित करती है. इसमें ब्लड और आॅक्सीजन की आपूर्ति करने वाली नसें बंद हो जाती है. इसके बढ़ने पर पैरों में जटिल समस्या खड़ी हो जाती है.
डायबिटीज से बचने के लिए मरीज को पर्यापत मात्रा में नींद, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवन शैली का उपयोग करना चाहिए। साथ ही समय-समय पर डॉक्टरों का परामर्श भी लेना चाहिए। डॉक्टरों की दी गई दवाओं को वक्त पर लें। साथ ही सुबह और शाम के वक्त घास पर नंगे पांव चलना चाहिए।