नई दिल्ली: अगर आपका बच्चा भी जिद्दी हो गया है और आपकी बात नहीं सुनता, तो दिमाग को इतना स्ट्रेस देने की जरूरत नहीं है। क्योंकि जिस तरह से आपने अपने बच्चे को सुनना सिखाया है, उसमें साधारण से बदलाव करके आप उसे एक अच्छा श्रोता बना सकते हैं। यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को सुनने का महत्व और एक ही बार में सुनने की आदत डाल सकते हैं।
शांति से काम लें
बच्चा अगर नहीं सुनता, तो चिल्लाने या डांटने के बजाय शांती बनाए रखें। अपनी आवाज को न्यूट्रल रखें। क्योंकि बार-बार डांटने या चिल्लाने से बच्चे बेशर्म हो जाते हैं और फिर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
सीधे कहें
बच्चों से सीधे शब्दों में अपनी बात कहें। उदाहरण के लिए, ‘क्या आप कृपया अब बैठ सकते हैं? के बजाय कहें कि ‘कुर्सी पर बैठो और अपने खिलौने उठाओ’। जब आप अपने खिलौने उठाते हैं तो मां को अच्छा लगता है। इससे बच्चे का मन पिघलता है और अगली बार से वह आपको इतना कहने का मौका न देते हुए तुरंत आपकी बात सुनेगा।
आपने जो कहा, उसे दोहराने के लिए कहें
बच्चे मनमौजी होते हैं। उन्हें सुनना है, तो सुनेंगे, वरना नहीं सुनेंगे। क्योंकि उनका आधा दिमाग तो खेल और दोस्तों में ही लगा रहता है। इसलिए अगर आप बच्चे को कोई निर्देश दे रहे हैं तो उसे आपका निर्देश एक बार फिर दोहराने के लिए कहें। इससे यह स्पष्ट होता है कि आपकी कही हुई बात उसने सुन ली है और अब वह ठीक से उसे अंजाम देगा।
एक समय पर एक ही आदेश दें
बच्चे एक समय पर कई सारी बातें याद नहीं रख सकते। इसलिए एक समय पर उन्हें एक ही काम करने के लिए कहें। वरना बच्चे चिड़चिड़ाने लगते हैं और तेज आवाज में बोलना शुरू कर देते हैं। इसलिए जब वो पहला काम पूरा कर लें, तब दूसरे काम का आदेश दें।
बच्चे की तारीफ भी कर दें
कई माता-पिता अपने बच्चों के साथ बहुत सख्ती से पेश आते हैं। ऐसे में बच्चे आपका कोई काम करना पसंद नहीं करते बल्कि आपसे दूर हो जाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि बच्चा आपकी बात को सुने, तो उसके साथ नरमी बरतें और काम पूरा करने पर उसकी तारीफ कर दें। बच्चों को अपने पेरेंट्स के प्रोत्साहन से ज्यादा और कुछ नहीं चाहिए। आपकाे खुश देखकर उनके मन में ज्यादा से ज्यादा काम करने की इच्छा जागृत होती है।
बच्चे को दूसरे का सम्मान करना सिखाएं
माता-पिता अपने बच्चों के व्यवहार को आकार देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बचपन से ही बच्चों के मन में दयालुता का भाव डालें, ताकि किसी को चोट पहुंचाने से पहले दो बार जरूर सोचें। लेकिन ध्यान रखें, बच्चों को इतना कमजोर भी ना बनाएं कि कोई अजनबी उन्हें मूर्ख बना जाए। साथ ही अपने बच्चे को सिखाएं कि वह मौखिक या शारीरिक रूप से किसी के प्रति बुरा व्यवहार न करें। फिर भले ही वे उसे पसंद करें या न करें।
बच्चों को सिखाएं कि यह गलत बात है
बदलते माहौल में अपने बच्चे के साथ बुलिंग के बारे में बात करनी चाहिए। आपके बच्चे के लिए यह समझना जरूरी है कि अन्य बच्चे को मार-पीट और धमकाना गलत है। बताएं कि उन्हें न तो किसी को धमकाना चाहिए और न ही चुपचाप सहना चाहिए। उन्हें यह बताकर कठिन परिस्थितियों के लिए तैयार करें कि क्या-क्या हो सकता है और खुद को कैसे सुरक्षित रखना है।
मारें नहीं, ऐसे लगाएं रोक
अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा बात-बात पर दूसरों को धमकी देता है, तो इसे इग्नोर न करें। तुरंत इस तरह के टॉक्सिक बिहेवियर को रोकने के लिए कदम उठाएं। स्कूल में आपके बच्चे का व्यवहार कैसा है, यह जानने के लिए रेगुलर टीचर्स से बात करें। पर ध्यान रखें कि उन्हें मारकर या डांटकर अनुशासित करने का प्रयास करना गलत है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप उन्हें सजा नहीं देंगे। उन्हें ऐसी सजा दें कि उन्हें अपनी गलती का एहसास हो और वे इसके लिए माफी भी मांगें।