नई दिल्ली। भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन(Covaxin) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मान्यता दे सकता है। भारत में विकसित कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) को अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति (EUL) नहीं मिली है। लेकिन इस पर आज कोई फैसला आ सकता है। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के विशेषज्ञों के पैनल की मंगलवार को बैठक होने जा रही है, जिसमें भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की कोरोना वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी देने पर फैसला हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस महीने भारत बायोटेक की ओर से सौंपे गए डॉक्यूमेंट की समीक्षा के बाद कोवैक्सीन को मंजूरी देने में अब देर नहीं होनी चाहिए।
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अब तक दुनिया की 6 कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। इनमें फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन, जानसन एंड जानसन वैक्सीन, आक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन, माडर्ना, सिनोफॉर्म और सिनोवॉक वैक्सीन शामिल हैं। इसमें आक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पहले से ही शामिल है, जिसकोंभारत में सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया कोविशील्ड(Covishield) के नाम से मैन्युफैक्चर कर रहा है, जिसका टीकाकरण कार्यक्रम में सबसे अधिक प्रयोग हुआ है।
WHO के विशेषज्ञों का स्ट्रैटजिक एडवायजरी ग्रुप (SAGE) कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी देने पर मंगलवार को बैठक करेगा। एक्सपर्ट पैनल की चार दिवसीय मीटिंग 4 अक्टूबर को शुरू हुई, जिसमें पॉलिसी गाइडेंस पर फैसला हो सकता है। ये बात ध्यान रखने वाली है कि WHO को सौंपे गए सभी दस्तावेजों को मूल्यांकन SAGE और टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप करता है. इसी महीने टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप की भी मीटिंग होने वाली है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, EUL (Emergency Use Listing) एक रिस्क आधारित प्रक्रिया है, जिसमें लिस्टिंग के लिए गैर-लाइसेंसी वैक्सीन का मूल्यांकन किया जाता है। इस प्रक्रिया में चिकित्सकीय और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक्स भी शामिल हैं, ताकि महामारी के समय में लोगों को तेजी से वैक्सीन उपलब्ध कराई जा सके। अगर कोवैक्सीन को EUL में शामिल किया जाता है तो भारत में बनी इस वैक्सीन को वैश्विक स्तर पर व्यापक स्वीकृति मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।