नई दिल्ली:- नवरात्रि का त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि. हर साल की तरह इस साल भी चैत्र नवरात्रि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रही है. इस साल चैत्र नवरात्रि 30 अप्रैल 2025 से शुरू हो रही है जो 6 अप्रैल तक चलेगी. खास बात ये है कि इस साल मां दुर्गा शेर पर नहीं बल्कि हाथी पर सवार होकर आएंगी. आपको बता दें, हिंदू धर्म में हाथी को समृद्धि, सौभाग्य और धैर्य का प्रतीक माना जाता है. इस बार अष्टमी और नवमी भी एक साथ पड़ रही है.
9 दिनों के इस पावन पर्व में लोग मां के दर्शन के लिए अलग-अलग मंदिरों में जाना पसंद करते हैं. भारत में मां के कई अलग-अलग मंदिर हैं. जिनकी मान्यता बहुत ज्यादा है. ऐसे में आज हम आपको इस खबर के जरिए 5 ऐसे बड़े देवी मंदिरों की जानकारी दे रहे हैं, जहां दर्शन के लिए लाखों लोग दूर-दूर से आते हैं. जानिए कौन से हैं वो मंदिर.
माता वैष्णो देवी मंदिर
जम्मू के कटरा में स्थित माता वैष्णो देवी के दरबार में हमेशा भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है. यह उत्तर भारत के सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है. यह तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद भारत में दूसरा सबसे अधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ स्थल है. हर साल नवरात्रि के मौके पर यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. लोगों का मानना है कि यहां हर कोई नहीं आ सकता, केवल वही लोग मंदिर की तीर्थ यात्रा पूरी कर सकते हैं जिन्हें देवी वैष्णो बुलाती हैं. मान्यताओं के अनुसार यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है.
चामुंडा माता मंदिर
श्री चामुंडा देवी मंदिर को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर उत्तर भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की धर्मशाला तहसील के पालमपुर कस्बे से 19 किलोमीटर दूर है. यह श्री चामुंडा देवी को समर्पित है, जो देवी दुर्गा का एक रूप हैं. देवी चामुंडा की मूर्ति को विभिन्न रंगों के वस्त्र लपेटे जाते हैं, लेकिन लाल और काले रंग का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है. देवी की मूर्ति को कमल सहित विभिन्न रंगों की मालाओं, फूलों से सजाया जाता है. कभी-कभी खोपड़ियों की माला के बजाय मूर्ति को नींबू की माला पहनाई जाती है. गर्भगृह के मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर हनुमान और भैरव की मूर्तियां स्थापित हैं और उन्हें देवी चामुंडा जी का द्वारपाल कहा जाता है. यह मंदिर भारत के सबसे पुराने दुर्गा मंदिरों में से एक है और इसका धार्मिक महत्व बहुत गहरा है. नवरात्रि के दौरान इस मंदिर के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है.
कामाख्या मंदिर
गुवाहाटी से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कामाख्या मंदिर देश के सबसे बड़े शक्ति मंदिरों में से एक है. नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर तांत्रिक उपासकों और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. इसे इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह वह मंदिर है जहां आर्य समुदायों की मान्यताएं और प्रथाएं गैर-आर्य समुदायों से मिलती हैं. भगवान शिव के विभिन्न रूपों को समर्पित, कामाख्या मंदिर के परिसर में पांच मंदिर हैं. इसके अलावा, मंदिर परिसर में भगवान विष्णु के तीन मंदिर भी हैं, जो केदार, गदाधर और पांडुनाथ के रूप में मौजूद हैं. इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं और मिथक हैं. एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि सती का प्रजनन अंग इस स्थान पर धरती पर बस गया था, जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी. दूसरी ओर, एक अन्य लोकप्रिय मान्यता के अनुसार यह मंदिर देवी काली से जुड़ा हुआ है. जानकारों के मुताबिक नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में जाकर देवी के दर्शन से संतान सुख की प्राप्ती होती है.
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
दक्षिणेश्वर काली मंदिर या दक्षिणेश्वर कालीबाड़ी दक्षिणेश्वर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत में एक हिंदू नवरत्न मंदिर है. हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित इस मंदिर की मुख्य देवी भवतारिणी हैं, जो महादेवी या पराशक्ति आद्या काली का एक रूप हैं, जिन्हें आदिशक्ति कालिका के नाम से भी जाना जाता है. पूरे साल दुनिया भर से लाखों भक्त दक्षिणेश्वर आते हैं. मंदिर परिसर में मंदिर, प्रांगण नवरत्न मंदिर, द्वादस शिव मंदिर और विष्णु मंदिर, एक नट मंदिर, एक सुंदर प्रांगण है. कमरहाटी नगरपालिका के भीतर स्थित यह मंदिर पूर्वी रेलवे के सियालदह-दनकुनी खंड पर दक्षिणेश्वर से जुड़ा हुआ है, यहां सड़क मार्ग से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है. हुगली नदी पर विवेकानंद पुल इस मंदिर से सटा हुआ है. यह श्यामबाजार से 4 से 5 किमी, दमदम हवाई अड्डे से 8 से 10 किमी और हावड़ा स्टेशन से 10 किमी दूर है. मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में देवी के दर्शन से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.
अम्बाजी मंदिर
गुजरात में स्थित अम्बाजी मंदिर या अरासुरी अम्बाजी मन्दिर एक देवी का प्रमुख मंदिर है जिसकी पूजा पूर्व-वैदिक काल से की जाती रही है. अंबाजी माता मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है. यह भारत का एक प्रमुख शक्ति पीठ है. नवरात्रि का उल्लासपूर्ण त्यौहार पूरे गुजरात में अंबाजी की श्रद्धा में मनाया जाता है, जिसमें पवित्र माता के चारों ओर गरबा नृत्य किया जाता है. इन नौ रातों में नायक और भोजोक समुदाय भवई रंगमंच भी करते हैं. भादरवी पूर्णिमा (पूर्णिमा के दिन) पर यहां एक बड़ा मेला लगता है जहां देश भर से लोग अपने मूल स्थान से पैदल चलकर यहां आते हैं. पूरा अंबाजी शहर दिवाली के त्यौहार के समय जगमगा उठता है.