नई दिल्ली : आपने अगर कभी “Rubik’s Cube” रिबीक्स क्यूब खेली हो तो सोचिए कि रिबिक्स क्यूब जैसा अस्पताल कितना छोटा हो सकता है। भारत ने दुनिया का सबसे छोटा एमरजेंसी अस्पताल तैयार कर लिया है जो ऐसे ही चौकोर खानों में बंद है जैसे रिबिक्स क्यूब का खेल हो। ये एक ऐसा अस्पताल है जो 72 चौकोर खानों में बंद है। इतना छोटा कि इसे कहीं भी एयर लिफ्ट करके ले जाया जा सकता है।
इतना होगा वजन
आसमान से ज़मीन पर या पानी में फेंका जा सकता है और ये खराब नहीं होगा। लोहे के तीन फ्रेम – उनमें 12 अलग-अलग बॉक्स और 36 खाने, इसका कुल वजन 720 किलोग्राम है। हर बॉक्स पर एक क्यूआर कोड है जिसे स्कैन करते ही ये पता किया जा सकता है कि किस बॉक्स में दवाएं हैं और उनकी एक्सपायरी क्या है। किस बॉक्स में फ्रैक्चर के इलाज का सामान है और किसमें एक्सरे की सुविधा है।
युद्ध के मैदान में या डिजास्टर की लोकेशन पर इस अस्पताल को ले जाकर Operation theatre को 8 से 10 मिनट में तैयार किया जा सकता है। पूरा अस्पताल 1 घंटे में मरीजों को इलाज देने लगता है। अस्पताल के तीन फ्रेम के बीच जेनरेटर फिट किया गया है और छत पर आपरेशन थिएटर है।
अस्पताल में मिलेगी ये सुविधा
इस अस्पताल में आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर, बेड्स, दवाएं और खाने का सामान भी मौजूद है। ये अस्पताल 200 लोगों का इलाज कर सकता है और 100 मरीजों को 48 घंटे तक बेड्स पर रख सकता है। इस अस्पताल को पूरी तरह सोलर एनर्जी और बैटरीज़ की मदद से चलाया जा सकता है।
टेस्ट करने की लैब, वेंटिलेटर, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड मशीन जैसे उपकरण से लैस इस अस्पताल में वो सब कुछ है जो किसी आधुनिक अस्पताल में होना चाहिए। फ्रैक्चर, हेड इंजरी, ब्लीडिंग या सांस की समस्या हो या एंटीबायोटिक और पेनकिलर दवाओं की ज़रुरत – अस्पताल में सब मौजूद है।
इस बेहद खास अस्पताल को रक्षा मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग और HLL lifecare के साथ मिलकर तैयार किया है। इस अस्पताल की लागत ढाई करोड़ रुपए है। अस्पताल को म्यांमार को डोनेशन में दिया गया है और श्रीलंका को दिए जाने की तैयारी है। इसे प्रोजेक्ट भीष्म के तहत तैयार किया गया है और अस्पताल को आरोग्य मैत्री क्यूब नाम दिया गया है।