सचिन बुधौलिया से
वर्ष 2021, कोविड की महामारी के बीच भारत के लिए कूटनीतिक मजबूती का संदेश देकर विदा हो रहा है। इस वर्ष में भारत ने जहां भारत ने सौ से अधिक देशों में कोविड के टीकों की मदद मुहैया कराके अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मानवीय चेहरे के साथ प्रशंसा हासिल की वहीं विदेश नीति के मामले में रणनीतिक स्वतंत्रता पर दृढ़ रहकर विश्व शक्तियों के दबाव को अस्वीकार कर दिया।
सीमापार आतंकवाद एवं घुसपैठ के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक रुख के साथ ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत चीन के आगे झुकने की बजाय दृढ़ता से डटा रहा है और ताइवान के राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में शामिल होकर उसकी दुखती रग छू ली। इस प्रकार से चीन को उसने सख्त संदेश दिया कि भारत अब पुराने समझौतावादी रुख को त्याग कर जैसे को तैसा की रणनीति पर चलेगा।
चीन के मामले में वर्ष 2020 से जारी गतिरोध को लेकर भारत-चीन सीमा विषय संबंधी समिति (डब्लूएमसीसी) की कई बैठकें तथा भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 13 बैठकें हो चुकीं हैं। पर पैंगांग त्सो झील के उत्तर में एवं गोगरा क्षेत्र में सैनिकों की वापसी हुई लेकिन अन्य क्षेत्रों में अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। विगत 10 अक्टूबर को चुशुल-मोल्दो सीमा पर निर्धारित स्थान पर आयोजित 13वीं बैठक में भारत ने चीन को बाकी क्षेत्रों से हटने के लिए साफ तौर पर कहा लेकिन चीनी पक्ष के रुख में बदलाव नहीं आने के कारण बातचीत विफल रही। भारत ने भी एलएसी पर सैन्य तैनाती बनाये रखने का फैसला किया। भारत ने तय किया कि वह चीन को किसी प्रकार की ढील नहीं देगा।
म्यांमार में सैन्य शासन के साथ राजनयिक संपर्क हो या अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व के साथ परदे के पीछे का संपर्क, भारत ने इस साल यह भी दुनिया को दिखाया कि वह आदर्शों के छलावे से बाहर आकर अपने हितों के लिए किसी से भी संबंध या संपर्क रखने के लिए स्वतंत्र है। म्यांमार के साथ भारत की 1600 किलोमीटर की सीमा है और नगा एवं मणिपुर के विद्रोही संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई में म्यांमार की सेना का भारत को सहयोग मिलता है। वहां सैन्य तख्तापलट के बावजूद भारत ने म्यांमार को कोविड टीकों की मानवीय सहायता जारी रखी और साथ ही सैन्य नेतृत्व को लोकतांत्रिक नेता आंग सान सू ची की गिरफ्तारी पर नाखुशी का भी इजहार किया।
अमेरिका एवं रूस के साथ रणनीतिक संबंधों को लेकर भी भारत ने अपने हितों को लेकर दृढ़ रुख अपनाया। एक ओर भारत ने अमेरिका के साथ अपने रक्षा एवं कूटनीतिक संबंधों को विस्तार दिया और ना सिर्फ हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता, समुद्री कानून के अनुपालन के उद्देश्य से बना अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जापान एवं भारत का चतुष्कोणीय गठजोड़ क्वाड को सक्रिय करने में अहम भूमिका निभायी वहीं दूसरी ओर एस-400 मिसाइल रोधी प्रणाली की खरीद और रूस के साथ विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की टू प्लस टू वार्ता को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों के दबाव को बड़ी साफगोई से ठुकरा दिया। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का इस वर्ष दूसरी विदेश यात्रा पर भारत आना भी बड़ी घटना रही। जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति का पांरपरिक रूप से एशिया में सबसे पहले चीन के राष्ट्रपति से नहीं मिल कर भारत के प्रधानमंत्री से मुलाकात करना भी भारत के लिए सकारात्मक उपलब्धि रही।
चीन की सामरिक घेराबंदी के रूप से क्वाड की शिखर बैठकों में सक्रिय भूमिका के अतिरिक्त अमेरिका, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) एवं भारत के एक नये आर्थिक क्वाड को आकार देने में भारत ने दिलचस्पी ली तो वहीं अमेरिकी आपत्तियों को दरकिनार करके ईरान के साथ अफगानिस्तान में आपूर्ति का मार्ग खोला। भारत ने अमेरिका द्वारा राष्ट्रपति जोसेफ आर बिडेन की अध्यक्षता में आयोजित लाेकतंत्र शिखर सम्मेलन में देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और मानव कल्याण सहित सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व सामाजिक-आर्थिक समावेशन एवं निरंतर सुधार की कथा सुनायी और कहा कि भारत ने साबित किया कि लोकतंत्र दे सकता है, लोकतंत्र ने दिया है, और लोकतंत्र देता रहेगा।
इसी वर्ष भारत ने ऐसे वक्त में एक माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाली जब अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी के बाद सत्ता पर तालिबान के काबिज होने से आतंकवाद की आशंका बढ़ी। लेकिन भारत ने सुरक्षा परिषद में अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में प्रस्ताव संख्या 2593 के रूप में तालिबान के संभावित आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण औज़ार प्राप्त किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी माह सुरक्षा परिषद में “समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता” विषय पर एक उच्च स्तरीय खुली बहस की अध्यक्षता की।
वर्ष 2021 बंग्लादेश की स्थापना के स्वर्ण जयंती वर्ष की शुरुआत के लिए याद किया गया। यह वर्ष बंगलादेश के संस्थापक शैख मुजीबुर्रहमान की जन्मशती का वर्ष था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च में तथा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 15 दिसम्बर को ढाका की यात्रा की और स्वर्ण जयंती समारोह एवं परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। दुर्गा पूजा के मौके पर पाकिस्तान परस्त इस्लामिक संगठन द्वारा पूजा पंडालों और मंदिरों पर हिंसक हमलों ने बदमज़गी पैदा की लेकिन शेख हसीना सरकार इस स्थिति को संभालने में कामयाब रही।
नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की के पी शर्मा ओली की सरकार के हटने और नेपाली कांग्रेस के शेरबहादुर देउबा के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत नेपाल संबंध तेजी से पटरी पर लौटने लगे। भूटान ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान से अलंकृत करने की घोषणा की। भारत के समर्थन से मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद का संयुक्त राष्ट्र का अध्यक्ष चुना जाना एक अच्छी खबर रही।
भारत ने इस वर्ष सौ से अधिक देशों को कोविड के करीब सात करोड़ टीकों कोविशील्ड एवं कोवैक्सीन को भेज कर विश्व में इस महामारी से मुकाबले में अहम योगदान दिया। इसके साथ ही अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को औपचारिक मान्यता दिये बगैर ही वहां के लोगों के लिए मानवीय मदद मुहैया करा कर एक उदार छवि बनाने में सफल रहा।
हालांकि भारत को आर्थिक मोर्चे पर काेई खास कूटनीतिक सफलता हाथ नहीं लगी। हालांकि भारत यूरोप मुक्त व्यापार करार (एफटीए) पर बातचीत आगे बढ़ी। अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ (आईएसए) में अमेरिका का साझीदार बनना और इसे संयुक्त राष्ट्र में ऑब्ज़र्वर का दर्जा मिलना भी भारत के लिए एक उपलब्धि रही।
जलवायु परिवर्तन पर पक्षकारों के सम्मेलन कोप-26 में भारत ने जलवायु कार्रवाई एजेंडा पेश किया और इस क्षेत्र में उठाए गए श्रेष्ठ कदमों एवं उपलब्धियों के बारे में चर्चा करते हुए वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य प्राप्त कर लेने की घोषणा की। इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ाकर वर्ष 2030 तक कोयले की हिस्सेदारी को मौजूदा 72 फीसदी से घटाकर लगभग 50 प्रतिशत तक लाने तथा परिवहन में पेट्रोल और डीजल को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आगे बढ़ने की बात कही। भारत ने इसी मौके पर ब्रिटेन के साथ मिल कर सौर ऊर्जा की ‘एक सूर्य एक पृथ्वी एक ग्रिड’ पहल की शुरुआत की।
विदेश मंत्रालय को इस साल दो नये विदेश राज्य मंत्री मिले। श्रीमती मीनाक्षी लेखी और डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने भारतीय राजनयिक शक्ति में गुणात्मक वृद्धि की।
द्विपक्षीय आदान प्रदान में भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने चार देशों बंगलादेश, अमेरिका, इटली एवं ब्रिटेन की यात्रा की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बंगलादेश के 50वें स्थापना दिवस के मौके पर ढाका की यात्रा की। जबकि रूस के राष्ट्रपति श्री पुतिन एवं डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन भारत आयीं। विदेश मंत्री ने 15 देशों की यात्राएं की जबकि 13 देशों के विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर आए।
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