भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को देश में रिटेल महंगाई दर को 4 प्रतिशत से नीचे रखने का लक्ष्य मिला हुआ है. आरबीआई को एक साल से भी ज्यादा हो गया है और वह इस कोशिश में लगा हुआ है. केंद्रीय बैंक ने इसके लिए एक साल से भी ज्यादा समय से नीतिगत ब्याज दरों (Repo Rate) को 6.50 प्रतिशत पर फिक्स भी करके रखा है, लेकिन उसके महंगाई कम करने की लाख कोशिशों के बाद भी अभी उसे पूरी सफलता नहीं मिली है.आरबीआई की कोशिशों का परिणाम इतना तो हुआ है कि महंगाई दर 6 प्रतिशत से नीचे आई है, जो महंगाई को लेकर उसकी सबसे ऊंची लिमिट है. फिर भी महंगाई के लेटेस्ट आंकड़े दिखाते हैं कि मई 2024 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड रिटेल इंफ्लेशन 4.75% रही है.
आखिर कहां मात खा रही है आरबीआई?इस वजह से कम नहीं हो रही महंगाईभारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्रीय बैंक महंगाई को नीचे 4 प्रतिशत के दायरे में लाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन अंतिम छोर पर इसका असर नहीं दिख रहा, क्योंकि खाने-पीने की चीजों के दाम नीचे ही नहीं आ रहे हैं और फूड इंफ्लेशन ‘जिद्दी’ स्वभाव दिखा रही है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की बातों में दम नजर आता है. उनके इस बयान की पैरवी फूड इंफ्लेशन के आंकड़े करते हैं. अगर हम सिर्फ 2024 के ही आंकड़े देखें, तो इस बात की पुष्टि हो जाती है.लोग दे रहे दुहाई, नीचे नहीं आ रही खाद्य महंगाईखाने-पीने की चीजों के दाम के हालात ये हैं कि मई 2024 में फूड प्राइस इंडेक्स बेस्ड फूड इंफ्लेशन (खाद्य महंगाई दर) 8.69 प्रतिशत रही है, ये रिटेल महंगाई के स्तर से करीब दोगुना अधिक है. मई 2023 से तुलना करें तो खाद्य महंगाई दर करीब 3 गुना बढ़ चुकी है. तब खाद्य महंगाई दी 2.96 प्रतिशत थी.
जून के महीने में आलू, प्याज, टमाटर, दाल और तेल के दाम बेहताशा बढ़े हैं.इसी तरह 2024 के 5 महीनों के आंकड़े देखें तो खाद्य महंगाई दर टस से मस नहीं हुई है. मामूली उतार-चढ़ाव के साथ ये 8 प्रतिशत के ऊपर ही बनी हुई है. अप्रैल में ये 8.70%, मार्च में 8.52%, फरवरी में 8.66% और जनवरी में 8.30% थी.