लाल सागर में संकट पैदा होने से समुद्री मार्ग से माल ढुलाई की दरें 600 फीसदी तक बढ़ गई हैं जिससे इंटरनेशनल ट्रेड को नुकसान होगा ही साथ में देश में महंगाई से आम लोगों का दम भी फूल जाएगा. भारतीय एक्सपोर्टर ने यह आशंका जताते हुए कहा है कि सरकार को ग्लोबल लेवल की अपनी खुद की शिपिंग लाइन शुरू करनी चाहिए. भारतीय निर्यातकों के संगठन फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने मंगलवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में आयोजित व्यापार बोर्ड (बीओटी) की बैठक में फ्रेट रेट में इजाफ के इश्यू को उठाया.
सहाय ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है और यह समस्या विभिन्न देशों में महंगाई को बढ़ाने के अलावा वस्तुओं की ग्लोबल डिमांड को नुकसान पहुंचाएगी.लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मार्ग बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास हुती विद्रोहियों ने कई हमले किए हैं जिससे इस मार्ग से होने वाले समुद्री व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ा है.
संभावित हमलों से बचने के लिए जहाजों को अफ्रीका के दक्षिणी सिरे केप ऑफ गुड होप से होकर गुजरना पड़ रहा है. इससे माल पहुंचने में लगभग 14-20 दिन की देरी हो रही है और फ्रेट के साथ इंश्योरेंस कॉस्ट भी बढ़ गया है.फ्रेट रेट में 600 फीसदी का इजाफासहाय ने कहा कि कुछ स्थानों पर माल ढुलाई दरें 600 फीसदी तक बढ़ गई हैं. ऐसी स्थिति में हम वैश्विक ख्याति वाली भारतीय शिपिंग लाइन विकसित करने का अनुरोध करते हैं. फियो महानिदेशक ने कहा कि हमने 2021 में परिवहन सेवा शुल्क के रूप में 80 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान किया था.
देश का निर्यात एक लाख करोड़ डॉलर के लक्ष्य की तरफ बढ़ने के साथ हमारा ढुलाई भुगतान वर्ष 2030 तक 200 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा. अगर इसमें भारतीय शिपिंग लाइन की 25 फीसदी हिस्सेदारी रहती है तो 50 अरब डॉलर की बचत हो सकती है.लाल सागर से होता है 80 फीसदी कारोबारउन्होंने कहा कि भारतीय निजी क्षेत्र को ऐसी शिपिंग लाइन के विकास का हिस्सा बनाया जा सकता है क्योंकि इससे विदेशी शिपिंग लाइन बेजा फायदा नहीं उठा पाएंगी. यूरोप के साथ भारत का लगभग 80 प्रतिशत व्यापार लाल सागर से होकर गुजरता है और अमेरिका के साथ भी बड़ा व्यापार इसी मार्ग से होता है.