आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस है। प्रतिवर्ष 29 जुलाई का दिन अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बाघों को हम सभी जंगली बिल्ली के नाम से भी जानते हैं। हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों को इनकी घटती आबादी के प्रति जागरूक किया जा सके। ये तो हम सभी जानते ही हैं कि बाघों की संख्या पिछले कुछ सालों में कितनी तेजी से कम हुई है। भारत में भले ही टाइगर रिजर्व हैं, लेकिन वहां पर आपको बाघ देखने को नहीं मिलेंगे। ऐसे में इन्हें बचाना देश की पहली ज़िम्मेदारी है।
आज दुनियाभर में 13वां अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है बाघों की प्राकृतिक निवास की रक्षा करने के लिए वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना। साथ ही बाघों के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना।
रिपोर्ट के अनुसार अगर हम पिछले 100 सालों में देखें तो जंगली बाघों की 97 प्रतिशत आबादी कम हो गई है। अभी हमारे पास सिर्फ 3,000 बाघ ही जीवित बचे हैं। वहीं 100 वर्षों पहले जीवित बाघों की संख्या 100,000 के आसपास थी। बाघों की संख्या में कमी आना दुनियाभर के तमाम संस्थानों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण बन गया है। फिर चाहे WWF हो या फिर IFAW, हर एक संस्थान बाघों की संख्या में कमी आने को रोकने के प्रयास में लगा हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास:-
आज बाघ दिवस के विशेष मौके पर ये जानना हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि आखिर यह दिन क्यों मनाया जाता है। बाघ दिवस 2010 में अस्तित्व में आया था। सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा पर 13 टाइगर रेंज देशों ने हस्ताक्षर किए थे और तभी से 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवश के रूप में मनाया जाने लगा। उस समय हस्ताक्षर करने वाले देशों ने ये संकल्प लिया था कि 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प लिया था। लेकिन इनके अवैध शिकारों की वजह से आज इनकी आबादी न के बराबर हो गयी है। और अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले कुछ समय में बाघों की प्रजाति भी विलुप्त हो जाएगी।
बाघों की विभिन्न प्रजातियां:-
बाघों की विभिन्न प्रजातियां हैं। इनमें दक्षिण चीन बाघ, मलय बाघ, इंडोचीनी बाघ, बंगाल बाघ, साइबेरियाई बाघ आदि शामिल हैं। भारत में मुख्यतः बंगाल टाइगर पाए जाते हैं। इन बाघों की आबादी भारत के साथ-साथ नेपाल, भूटान, म्यांमार, चीन और बांग्लादेश में भी काफी कम है। अगर बाघों की उप प्रजाति देखें तो यही प्रजाति अभी सबसे ज्यादा बची हुई है। इस प्रजाति के लगभग 2,500 बाघ अभी जीवित हैं।