हम में से अधिकतर लोग मुश्किल परिस्थिति में खुद से बात करते हैं, कई लोग इस आदत को पागलपन का नाम दे देते हैं. जब भी किसी विषय पर गहन सोच करनी होती है तो अक्सर लोग खुद की सलाह लेते हैं लेकिन कुछ लोगों को हर रोज या हर वक्त खुद से बात करने की आदत होती है. कई बार आपने देखा होगा कि लोग खुद में ही कुछ बोलकर बुदबुदाते रहते हैं. ऐसे में सामने वाला आपको मेंटल या पागल समझ बैठता है लेकिन क्या आपने सोचा है कि खुद से बात करना क्या कोई बीमारी है या पिर ये बिलकुल नॉर्मल है, आइए जानते हैं.क्या खुद से बात करना नॉर्मल हैकई रिसर्च में ये पाया गया है कि खुद से बात करना बिलकुल नॉर्मल है बल्कि ऐसे लोग मेंटली ज्यादा स्ट्रांग होते हैं. दरअसल, हम सब खुद से बात करते हैं लेकिन जब कोई तेज आवाज में खुद से बात करने लगे तब ये थोड़ा अजीब लगने लगता है.
लेकिन हम सब मन ही मन खुद से बात करते रहते हैं. जैसे कि मान लीजिए जब आप किसी बात के बैर में सोच रहे होते हैं तो अपने दिमाग उस बात को लेकर कई सारे सवाल और जवाब आप खुद ही दे देते हैं. या फिर जब आप घर से बाहर निकलते हैं तो आप अपने मन में कुछ सवाल जरूर आते हैं जैसे कि गैस बंद किया या नहीं, पंखा चालू तो नहीं है.खुद से बात करने से होते हैं ये फायदे1. जब आप खुद से बात करते हैं तो बाकि लोगों के मुकाबले आप मेंटली ज्यादा स्ट्रांग होते हैं. इसका फल आपको तब मिलता है जब आप किसी मुश्किल परिस्थिति में फंसते हैं,
इस वक्त आपके साथ सिर्फ आपका अकेलापन ही होता है.2.रोज की समस्याओं से आप आसानी से निपट पाते हैं.3.जब भी आप किसी बात को लेकर परेशान या चिंतित होते हैं तो इस समय सबसे अच्छा ये है कि आप खुद से बात करें. ये आदत आपको खुद के डर से लड़ने में मदद करेगा.4.खुद से बात करने की आदत से आप अन्य लोगों के मुकाबले ज्यादा मजबूती से फैसले ले पाएंगे. इस तरह से आपको अकेलेपन का डर भी नहीं सताएगा.