नई दिल्ली: शुक्रवार सुबह दिल्ली वालों की आंख भयंकर प्रदूषण के बीच खुली। शुक्रवार को दिल्ली के आनन्द विहार में प्रदूषण स्तर रिकॉर्ड 854 अंक तक पहुंच गया था तो ज्यादातर जगहों पर यह 500 से 700 अंक के बीच रहा। दोपहर दो बजे के करीब भी दिल्ली का औसत प्रदूषण स्तर 500 अंक से अधिक बना रहा, जबकि मंदिर मार्ग और लुटियन दिल्ली के आसपास कई इलाकों में यह 650 अंक के आसपास बना रहा।
शुक्रवार शाम को भी दिल्ली में औसत प्रदूषण स्तर 345 अंक से अधिक रहा। पीएम 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से लगभग 12 गुना अधिक रिकॉर्ड किया गया। वायु प्रदूषण के इस बेहद खतरनाक स्तर पर सांस लेना गंभीर बीमारियों को दावत देने जैसा है। बड़ा प्रश्न यही है कि हर साल आने वाली इस समस्या का कोई समाधान खोज पाना क्यों संभव नहीं हो पा रहा है? दिल्ली को सांस लेने लायक बनाने के लिए क्या बदलाव करने की आवश्यकता है?
वायु प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम अधिनियम 1981 में अस्तित्व में आया था। अप्रैल 1994 में परिवेशी वायु गुणवत्ता के मानकों की घोषणा की गई थी और अक्टूबर 1998 में इसे संशोधित किया गया। नवंबर 2009 में, IIT कानपुर और अन्य संस्थानों द्वारा गहन समीक्षा के बाद कठोर और व्यापक राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक लागू किया गया। इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माने जाने वाले 12 प्रदूषकों को शामिल किया गया था।
भाजपा ने केजरीवाल को जिम्मेदार कहा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है कि राजधानी में बढते प्रदूषण के लिए केजरीवाल सरकार जिम्मेदार है। दिल्ली सरकार को तुरंत अपने अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और मोहल्ला क्लीनिकों को आपातकालीन न्युबिलाइज़ेशन सेवाएं और पलमुनरी रोगों से संबंधित मुफ्त दवाएं प्रदान करने के लिए सुसज्जित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्माण गतिविधि पर प्रतिबंध को और बढ़ाया जा सकता है।