नई दिल्ली:- लोक आस्था का महापर्व ‘छठ पूजा’ हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्यौहार मुख्यतः सूर्य देव को समर्पित है। छठ पूजा मुख्यतः बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के आसपास के क्षेत्रों में मनाई जाती है। हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में एक ‘छठ पूजा’। इस व्रत के दौरान विधि-विधान से सूर्य भगवान और छठी मइया की पूजा-अर्चना की जाती है। इस पर्व में व्रत के साथ-साथ पूजन सामग्री का भी बहुत ज्यादा महत्व होता है। ऐसे में आइए जानते हैं छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली पूजन सामग्री के बारे में…
जानिए इन 5 वस्तुओं के बिना अधूरी है छठ पूजा
लौकी, चने की दाल और चावल
छठ पूजा का प्रारंभ नहाय खाय से होता है। पहले दिन लौकी, चने की दाल और चावल का महत्व है। व्रत रखने वाले को नहाय खाय के दिन भोजन में यही खाना होता है। हर व्रती के लिए यही भोजन बनता है।
नारियल और सूप
वैसे तो छठ पूजा में कई चीजों की जरूरत होती हैं, जिनका उपयोग होता है। लेकिन छठ पूजा में नारियल और सूप का होना बेहद जरूरी है। इसके बिना सूर्य देव को अर्घ्य नहीं दिया जा सकता है। सूर्य देव को जब अर्घ्य देते हैं तो सूप में ही नारियल और अन्य सामग्री रखकर जल से अर्घ्य देते है।
पीला सिंदूर या भाखरा सिंदूर
छठ पूजा में व्रती सुहागन महिलाएं पीला सिंदूर लगाती है। पीले सिंदूर को भाखरा सिंदूर भी कहते है। सिंदूर को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, इस वजह से महिलाएं हर व्रत और त्योहार में पीला सिंदूर लगाती है।
ठेकुआ और केला
छठ पूजा के प्रसाद का मुख्य हिस्सा ठेकुआ है, जो काफी प्रसिद्ध है। प्रसाद में ठेकुआ का होना जरूरी है। व्रती इसे खरना के दिन बनाते हैं। छठ पूजा में केला जरूर रखते है।
पान-सुपारी
छठ व्रत का उपवास रखने वाले यानी व्रती जब पानी में खड़े होकर सूर्य की आह्वान करते हैं, तो वे अपने हाथ में पान-सुपारी अवश्य रखते हैं।
गन्ना
गन्ना भी छठ पूजा की पहचान है। प्रत्येक डाला और सूप में गन्ना या ईंख के तुकडे का होना जरुरी माना गया है।
आलता बाती
आलता बाती रुई से बने गोल-गोल पत्ते होते हैं। लाग रंग के इन पत्तों के बिना छठ पूजा अधूरी होती है। इन पत्तों को प्रत्येक सूप और डाला में रखा जाता है। इस आलता बाती को सूर्य के प्रतीक माने जाने के कारण बेहद शुभ माने गए हैं। इसके साथ ही लाल धागे से बनी बद्धी यानी माला भी प्रत्येक सूप और डाले में डाला जाता है।