मध्यप्रदेश:- रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानी रेरा के आने के बाद से रियल्टी सेक्टर के निवेशकों के साथ ही एंड यूजर्स के हितों को सुरक्षित रखने में काफी हद तक मदद मिली है. बावजूद इसके कई ऐसे बिल्डर्स हैं जो किसी न किसी जरिये अपनी परियोजनाओं में मौजूद संपत्तियों के लिए ग्राहकों से अधिक दाम वसूलने की कोशिश में लगे रहते हैं. कई बार इसे एक्स्ट्रा इलेक्ट्रिफिकेशन का नाम दे दिया जाता है तो कभी एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज. रेरा स्पष्ट कह चुका है कि बिल्डर्स की तरफ से निर्धारित प्रति वर्ग फुट के दाम में संपत्ति की कुल कीमत समाहित होनी चाहिये और ग्राहक से किसी तरह का कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाना चाहिये. लिहाजा जब आप किसी बिल्डर या डेवलपर की परियोजना में मकान बुक करवा रहे हों तो इन छुपी कीमतों के बारे में भी बात करें. रियल एस्टेट मामले के जानकार प्रदीप मिश्रा इन एक्स्ट्रा चार्जेज से बचने का तरीका बता रहे हैं.
ईडीसी और आईडीसी जरूर देखें
ईडीसी का अर्थ एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज से है जबकि आईडीसी को इंटरनल डेवलपमेंट चार्ज के तौर पर समझा जा सकता है. कुछ साल पहले तक बिल्डर्स यह रकम बुकिंग के बाद परियोजना के आधा बन जाने या फिर पजेशन के समय मांगते थे. परियोजना के भीतरी और जिस लोकेशन पर परियोजना मौजूद रहती उस क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को लेकर इस तरह की रकम की मांग की जाती थी. लेकिन, कीमतों में हो रही इस हेराफेरी के मद्देनजर रेरा ने कड़ाई बरती और बिल्डरों से ऐसी किसी तरह की रकम न मांगने की बात कही गई. इसके बाद बिल्डर्स और डेवलपर्स ने इन चार्जेज को संपत्ति के मूल्य में समाहित करना शुरू कर दिया. हालांकि जो ग्राहक इस बात से अनभिज्ञ हैं उनसे बिल्डर्स की तरफ से एक बार फिर इसकी मांग की जाने लगी है ऐसे में इसके प्रति आपको जागरूक होना चाहिए.
पार्किंग और क्लब मेम्बरशिप
निजी बिल्डर्स की परियोजनाओं में ओपन और कवर्ड दो तरह की पार्किंग के विकल्प मिलते हैं जिसके लिए बिल्डर ग्राहकों से डेढ़ से पांच लाख रुपये तक वसूलते हैं. दूसरी तरफ क्लब सदस्यता को लेकर भी लगभग इसी अनुपात में राशि की मांग की जाती है. हालांकि रेरा की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि बिल्डर इन मदों में भी ग्राहकों से पैसा नहीं ले सकता.
एक्स्ट्रा इलेक्ट्रिफिकेशन चार्ज
परियोजना के कॉमन एरिया मसलन पार्क, फुटपाथ, भीतरी सड़कें, सीढ़ियों वगैरह पर अतिरिक्त लाइटें और वायरिंग की जरूरत पड़ जाती है. लेकिन इसका खर्च बिल्डर्स अपनी जेब पर नहीं डालता, इस सबकी वसूली भी प्रोजेक्ट में घर खरीदने वाले ग्राहकों पर डाल दी जाती है. इस चार्ज की जानकारी भी बिल्डर की तरफ से ग्राहक को संपत्ति की पजेशन के समय दी जाती है. आप अपने अधिकारों को समझते हुए बिल्डर को ही इस अतिरिक्त रकम का भुगतान करने के लिए कह सकते हैं. लेकिन यह तभी मुमकिन हो सकेगा जब बिल्डर बायर एग्रीमेंट में आपने पहले से लिखवा रखा हो कि बुकिंग के समय संपत्ति की जो कीमत निर्धारित की गई है आप उससे अधिक नहीं देंगे.
लेट पेमेंट पेनाल्टी क्लॉज
मौजूदा समय में होम लोन की सुविधा का लाभ उठाते हुए संपत्तियां खरीदने वाले ग्राहकों की संख्या अधिक है. जहां तक किसी निर्माणाधीन परियोजना की बात है तो ऐसी संपत्तियों पर बैंकों की तरफ से कंस्ट्रक्शन लिंक प्लान के अनुसार लोन सैंक्शन किया जाता है. कंस्ट्रक्शन लिंक का अर्थ यह है कि जैसे-जैसे परियेाजना बनती जाएगी, उसी अनुपात में लोन की रकम बिल्डर के पास पहुंचती जाएगी. कई बार बैंक की तरफ से तय तारीख पर लोन की किस्त जारी नहीं हो पाती है जिसके एवज में बिल्डर, ग्राहकों पर लेट पेमेंट पेनाल्टी लगा देता है. ऐसे चार-पांच मौके हो जाने पर बिल्डर की तरफ से ब्याज लगाकर उस रकम को लाखों रुपयों में पहुंचा दिया जाता है.