शेयर बाजार में अगर आप निवेश करते हैं, तो ये खबर आपके लिए ही है. मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने हाल में मार्जिन ट्रेडिंग से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किया है, जो ट्रेडर्स के लिए बड़ी राहत है. मार्जिन ट्रेडिंग क्या होती है, सेबी ने इससे जुड़े नियमों में क्या बदलाव किया है. इसकी पूरी डिटेल आपको यहां मिलेगी.
क्या होती है मार्जिन ट्रेडिंग?ये इस तरह की फैसिलिटी होती है, जहां कोई निवेशक कम पैसों में ज्यादा शेयर खरीद सकता है. इस फैसिलिटी का लाभ उठाकर इंवेस्टर्स को ब्रोकर्स की ओर से 4 गुना तक रकम उधार मिल जाती है. अगर किसी व्यक्ति के पास पास 50,000 रुपए हैं और आप 2 लाख रुपए के शेयर खरीदना चाहते हैं, तो आप एमटीएफ ( मार्जिन ट्रेडिंग फंड) से पैसा उधार लेकर ट्रेडिंग कर सकते हैं. हालांकि बाकी रकम पर ब्रोकर आपसे ब्याज की वसूली करता है.सेबी ने दी ये बड़ी राहत
अब मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है. इसमें कहा गया है कि अब इंवेस्टर्स मार्जिन ट्रेडिंग से जो शेयर्स खरीदेंगे और ब्रोकर्स के पास कॉलेटरल के रूप में जमा किए गए उनके स्टॉक या इक्विटी एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की यूनिट्स को अलग रखा जाएगा.मार्जिन ट्रेडिंग के लिए जो फंडिंग अमाउंट का कैलकुलेशन होगा, उसमें इन दोनों कैटेगरी को कंबाइंड तौर पर कैलकुलेट नहीं किया जाएगा.
अगर ब्रोकर ने मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी का लाभ उठाने के लिए मार्जिन के रूप में ग्राहक से कैश कॉलेटरल ले लिया है. वहीं ट्रेडिंग मेंबर ने ग्राहक के सेटलमेंट के लिए क्लियरिंग कॉरपोरेशन को कैश कॉलेटरल दिया है. इसे मेंटनेंस मार्जिन के तौर पर माना जाएगा