मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक यानी अटल सेतु का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में किया है. ये देश का सबसे लंबा समुद्र पर बना ब्रिज है, जिसमें कई हाईटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. अगर आप टेक्नोलॉजी को पसंद करते हैं, तो आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि अटल सेतु में कौन-कौन सी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है.MMRDA कमिश्नर संजय मुखर्जी के अनुसार मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक को रिकॉर्ड 5 साल में तैयार किया गया है और इस ब्रिज में इंजीनियरिंग की हाईटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है.
यहां हम आपको इस ब्रिज में इस्तेमाल की गई कुछ टेक्नोलॉजी के बारे में बता रहे हैं.भूकंप रोधी डिजाइन
अटल सेतु में आइसोलेशन बियरिंग्स का इस्तेमाल किया गया है, जो शॉक एब्जॉर्बर का काम करते हैं. इस टेक्नोलॉजी की वजह से अगर भूकंप आता है तो ये पुल टूटेगा नहीं, बल्कि थोड़ा हिल सकता है. अटल सेतु बनाने वाले इंजीनियरों के अनुसार इस पुल का डिजाइन रिक्टर पैमाने पर 6.5 तीव्रता तक के भूकंप को सहन कर सकता है.
इको फ्रेंडली लाइटअटल सेतु पर रात के समय हाईस्पीड ट्रैफिक के लिए पर्याप्त लाइट की व्यवस्था की गई है. इसके लिए अटल सेतु पर इको फ्रेंडली लाइट यानी कम ऊर्जा वाली एलईडी लाइट का यूज किया गया है. जिनको यूज करने पर पर्यावरण को नुकसान नहीं होता.
रियल टाइम ट्रैफिक इंफॉर्मेशन डिस्प्लेअटल सेतु पर ड्राइवरों को आसपास की लेन पर ट्रैफिक की स्थिति और एक्सीडेंट की जानकारी देने के लिए रियल टाइम ट्रैफिक इंफॉर्मेशन डिस्प्ले लगाई गई हैं. ये डिस्प्ले एक निश्चित दूरी पर लगाई गई हैं, जहां से ड्राइवरों को पूरे ब्रिज की पलपल की जानकारी यात्रा के दौरान मिलती रहेगी.
नॉइस रिडक्शन सिस्टमअटल सेतु पर ट्रैफिक और वहनो के हार्न से निकलने वाले शोर को कम करने के लिए ब्रिज के किनारों पर नॉइस रिडक्शन सिस्टम और साइलेंसर लगाए गए हैं. इनके जरिए ब्रिज पर होने वाला शोर कम होगा और ड्राइविंग के दौरान एकाग्रता बनी रहेगी.