कोरोना संक्रमण के डर से जहां डिप्रेशन और तनाव का माहौल है वहीँ कुछ मन की शांति और प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के उपाय खोज रहे हैं। चूंकि इस दौरान बाहरी गतिविधियाँ सीमित हैं, लोगों में घर बैठे ही ऑनलाइन ध्यान अभ्यास सीखने का चलन बढ़ा है। आज हम आपको एक अनोखे साधना अभ्यास के बारे में बताएँगे जो कोरोना काल में ऑनलाइन वेबिनार के द्वारा लोगों में बहुत प्रचलित हो रहा है।
हम आपका परिचय फालुन दाफा (या फालुन गोंग) से कराना चाहेंगे जो मन और शरीर का एक उच्च स्तरीय साधना अभ्यास है। फालुन दाफा में पांच सौम्य और प्रभावी व्यायाम सिखाये जाते हैं, किन्तु बल मन की साधना या नैतिक गुण साधना पर दिया जाता है।
ये व्यायाम व्यक्ति की शक्ति नाड़ियों को खोलने, शरीर को शुद्ध करने, तनाव से राहत और आंतरिक शांति प्रदान करने में सहायता करते हैं। मन और शरीर का एक परिपूर्ण अभ्यास होने के कारण लोगों को कम समय में ही आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
फालुन दाफा को पहली बार चीन में मई 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा सार्वजनिक किया गया। आज, जहाँ 90 देशों में 10 करोड़ से अधिक लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं, दुःख की बात यह है कि चीन, जो फालुन दाफा की जन्म भूमि है, वहां 1999 से इसका दमन किया जा रहा है जो आज तक जारी है।
फालुन दाफा अक्सर बाहर पार्कों या सार्वजनिक स्थलों पर सिखाया जाता है। कोरोना के प्रतिबंधों के चलते इसे ऑनलाइन वेबिनार द्वारा सिखाया जा रहा है जो बहुत लोकप्रिय हो रहा है। भारत में ऑनलाइन वेबिनार की समन्वयक अर्चना ने कहा, “मुझे वीडियो कॉन्फ्रेंस ऐप उन लोगों से जुड़ने का एक सुविधाजनक तरीका लगा जो अभ्यास सीखने में रुचि रखते हैं।”
अर्चना, जो एक गृहिणी हैं और कई वर्षों से फालुन दाफा का अभ्यास कर रही हैं, कहती हैं कि, “लॉकडाउन में लोगों को व्यक्तिगत रूप से सिखाना कठिन था, लेकिन ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंस ऐप द्वारा देश के हर कोने से लोगों से जुड़ना संभव हो पाया। जिनके पास कंप्यूटर नहीं है वे मोबाइल फ़ोन द्वारा इससे जुड़ सकते हैं और अभ्यास सीख सकते हैं।”
वेबिनार संचालित करने में सुमाया हजारिका और अन्य अभ्यासियों ने अर्चना की मदद की। सुमाया जो पेशे से एक फैशन मॉडल हैं, कहती हैं कि, “फालुन दाफा का अभ्यास मुझे सकारात्मक और क्रियाशील बने रहने में मदद करता है”। “जैसे ही मुझे ऑनलाइन अभ्यास सिखाने का अवसर मिला मैं तुरंत इसके लिए तैयार हो गयी क्योंकि इससे मुझे भी बहुत फायदा हुआ है”।
कुछ विशेष वेबिनार किशोरों और बच्चों के लिए आयोजित किये गए जिसकी विषय सामग्री उनकी रुचि के अनुसार रखी गयी। अर्चना ने कहा कि, अभ्यास सिखाने के आलावा, बच्चों के लिए कई दिलचस्प गतिविधियाँ की गईं जैसे उन्हें पेपर ओरिगेमी द्वारा कमल पुष्प बनाना सिखाना और नैतिक मूल्यों के महत्व के बारे में बताने के लिए लोटस परिकथा सुनाना।
कर्नाटक की एक 12 वर्षीय छात्रा श्रेया ने अपने अंकल से इस अभ्यास के बारे में जानने के बाद कार्यशाला में शामिल होने का फैसला किया। सीखने के बाद से, श्रेया नियमित रूप से अभ्यास कर रही है और इसे “बहुत फायदेमंद” पाया है।
“अब मेरा मन शांत और स्थिर रहने लगा है और मैं अच्छी तरह पढ़ पाती हूँ,” श्रेया ने कहा।
काठमांडू, नेपाल के एक मोंटेसरी स्कूल की वाइस प्रिंसिपल कल्पना लोहानी का अनुभव भी कुछ ऐसा ही था। कल्पना ने फेसबुक पर फालुन दाफा से संबंधित पोस्ट पढ़ने के बाद कार्यशाला के लिए रजिस्टर किया।
लोहानी ने कहा, “मैं बहुत अच्छा और भाग्यशाली महसूस करती हूँ कि मुझे इस बारे में पता चला।” “अब, मैं हर सुबह सभी पाँच अभ्यास करती हूँ। मैं शांत, सजग और स्वस्थ महसूस करती हूँ । मैं बेहतर सो पाती हूँ।”
वेबिनार में अभ्यास सिखाने के अतिरिक्त, प्रतिभागियों के लिए आवश्यक जानकारी जैसे पुस्तकें, विडियो, ऑडियो भी ऑनलाइन नि:शुल्क उपलब्ध किये जाते हैं जिससे वे घर पर सीखते रहें।
“इन कार्यशालाओं में भाग लेने के बाद, कुछ लोग नियमित रूप से हमारे साथ फालुन दाफा अभ्यास करना चाहते थे। उनके लिए हमने रोजाना ऑनलाइन व्यायाम सत्र का आयोजन किया है,” युवराज तेलंग ने कहा, जो अर्चना के साथ अभ्यास सिखाने में मदद करते हैं।
यदि आप भी इस अभ्यास को सीखने के इच्छुक हैं तो www.learnfalungong.in पर इसके नि:शुल्क वेबिनार के लिए रजिस्टर कर सकते हैं। फालुन दाफा के बारे में अधिक अधिक जानकारी आप www.falaundafa.org पर पा सकते हैं।