खरगोन. निमाड़ के किसान अब पारंपरिक फसलों की बजाय आधुनिक खेती या फिर बागवानी की ओर अपना रुख कर रहे है. बागवानी की खेती में लागत तो काम आती ही है साथ ही मेहनत भी कम लगती है जबकि मुनाफा अधिक होता है. यहीं वजह है की खरगोन के मंडलेश्वर निवासी किसान विष्णु पाटीदार ने भी पारंपरिक खेती को छोड़ अपने खेत में सीताफल का बगीचा लगाया है जिससे अब वें सालाना लाखों मुनाफा कमा रहे है.
किसान विष्णु पाटीदार ने कहा कि पहले वें भी अपने खेत में गेहूं, चना, कपास और गन्ने की खेती करते थे, लेकिन इनमें लागत भी अधिक आती थी. मेहनत भी ज्यादा लगती थी. मौसम ने साथ नहीं दिया तो पूरी सफल खराब हो जाती है, जिससे नुकसान की गुंजाइश हमेशा बनी रहती थी. इसलिए सीताफल की खेती शुरू की. इसमें ना तो ज्यादा मेहनत लगती है और ना ही लागत. मौसम का कोई खास असर फसल पर नहीं पड़ता है.
पेड़ों के बीच ले सकते है दूसरी फसल
उन्होंने कहा कि 3 एकड़ में पिछले 12 वर्षो से वें सीताफल की खेती कर रहे है. बाजार में फलों की मांग बड़ने पर उन्होंने बागवानी की खेती शुरू की है. इसमें बीज लगाने के तीन साल बाद ही पेड़ो पर फल लगने लग जाते है. इसके बाद कई वर्षों तक सुखी कमाई होती है. हालांकि इन तीन वर्षो में और इसके बाद भी जब तक पेड़ से पेड़ न मिल जाएं तब तक बीच की खाली जगह में दूसरी फसलें भी ले सकते है. एक बार बीज पकड़ बना ले तो फिर मौसम का भी इसपर कोई असर नहीं होता, इसलिए नुकसान की गुंजाइश बहुत कम रहती है.
साल में होती है इतनी कमाई
किसान का कहना है कि साल में गर्मी के समय एक दो बार सिंचाई करनी पड़ती है. मई-जून में पेड़ों पर फूल खिलना शुरू होते है. दिवाली के बाद फल आने लगते है. एक महीना पेड़ों पर फल लगते है. जिससे साल में एक बीघा में लगभग 70 हजार रुपए का मुनाफा मिलता है. इस प्रकार वें तीन एकड़ में साढ़े चार बीघा में 3 लाख से ज्यादा की कमाई करते है.