नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वच्छता के प्रयास तभी पूरी तरह सफल होते हैं जब हर नागरिक स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझे।
श्री मोदी ने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में आज कहा कि स्वच्छता के प्रयास तभी पूरी तरह सफल होते हैं जब हर नागरिक स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझे। अभी दीपावली पर हम सब अपनी घर की साफ़ सफाई में तो जुटने ही वाले हैं लेकिन इस दौरान हमें ध्यान रखना है कि हमारे घर के साथ हमारा आस-पड़ोस भी साफ़ रहे। ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम अपना घर तो साफ़ करें लेकिन हमारे घर की गंदगी हमारे घर के बाहर, हमारी सड़कों पर पहुँच जाए।
उन्होंने कहा कि जब स्वच्छता की बात करता हूँ तब सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्ति की बात हमें कभी भी भूलना नहीं है। हम संकल्प लें कि स्वच्छ भारत अभियान के उत्साह को कम नहीं होने देंगे। हम सब मिलकर अपने देश को पूरी तरह स्वच्छ बनाएँगे और स्वच्छ रखेंगे।
प्रधानमंत्री ने मेरठ की महिला प्रभा शुक्ला के पत्र के बारे में ज़िक्र करते हुए कहा कि उन्होंने लिखा है कि – “भारत में त्योहारों पर हम सभी स्वच्छता को सेलेब्रेट करते हैं। वैसे ही, अगर हम स्वच्छता को, हर दिन की आदत बना लें तो पूरा देश स्वच्छ हो जाएगा।” मुझे उनकी बात बहुत पसंद आई। वाकई, जहाँ सफाई है, वहाँ स्वास्थ्य है, जहाँ स्वास्थ्य है, वहाँ सामर्थ्य है और जहाँ सामर्थ्य है, वहाँ समृद्धि है। इसलिए तो देश स्वच्छ भारत अभियान पर इतना जोर दे रहा है।
उन्होंने इसी प्रकार राँची से सटे एक गाँव सपारोम नया सराय के बारे में बताया कि वहाँ गाँव में एक तालाब हुआ करता था, लेकिन, लोग इस तालाब वाली जगह को खुले में शौच के लिए इस्तेमाल करने लगे थे। स्वच्छ भारत अभियान के तहत जब सबके घर में शौचालय बन गया तो गाँव वालों ने सोचा कि क्यों न गाँव को स्वच्छ करने के साथ-साथ सुंदर बनाया जाए। फिर क्या था, सबने मिलकर तालाब वाली जगह पर पार्क बना दिया। आज वो जगह लोगों के लिए, बच्चों के लिए, एक सार्वजनिक स्थान बन गई है। इससे पूरे गाँव के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया है।
श्री मोदी ने कहा कि अक्टूबर का पूरा महीना ही त्योहारों के रंगों में रंगा रहा है और अब से कुछ दिन बाद दिवाली तो आ ही रही है। दिवाली, उसके बाद फिर गोवर्धन पूजा फिर भाई-दूज, ये तीन त्योहार तो होंगे-ही-होंगे। इसी दौरान छठ पूजा भी होगी। नवम्बर में ही गुरुनानक देव जी की जयंती भी है। इतने त्योहार एक साथ होते हैं तो उनकी तैयारियाँ भी काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। आप सब भी अभी से खरीदारी की योजना बनाने लगे होंगे, लेकिन आपको याद है न, खरीदारी मतलब ‘वोकल फ़ोर लोकल’। आप स्थानीय सामान खरीदेंगे तो आपका त्योहार भी रोशन होगा और किसी गरीब भाई-बहन, किसी कारीगर, किसी बुनकर के घर में भी रोशनी आएगी। मुझे पूरा भरोसा है जो मुहिम हम सबने मिलकर शुरू की है, इस बार त्योहारों में और भी मजबूत होगी।