शाम के बाद ब्रेन सिकुड़ने लगता है और रात 08 बजे तक ये होता हैशाम होते ही ब्रेन का सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर ग्रे मैटर कम होने लगता हैइस वजह से आप अवसाद, चिंता और मूडऑफ से रिलैक्स हो पाते हैंकहा जाता है किसी भी शख्स का सारा व्यक्तित्व उसके ब्रेन में होता है. ये इतना चमत्कारिक होता है कि हर कोई हैरान हो सकता है. ब्रेन समय के अनुसार ना केवल खुद को बदलता है बल्कि इसका सिस्टम खुद इसे स्थितियों के अनुसार ढाल भी देता है. दिन के बढ़ने के साथ ब्रेन शायद थकता भी है और ये शाम के समय इसलिए खुद को कुछ सिकोड़ लेता है. साइंस ने ब्रेन की इन स्थितियों के बारे में पहली बार खुलासा किया है.
जनरल ऑफ न्यूरो साइंस ने इस बारे में एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें बताया गया है कि दिन बढ़ने के साथ मस्तिष्क बदलता है, जो दिन बढ़ने के साथ आपके फोकस या मानसिक कार्य को प्रभावित करता है? कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा (यूसीएसबी) का एक अध्ययन इस घटना पर प्रकाश डालता है. इसके निष्कर्ष वास्तव में आश्चर्यजनक हैं.30 दिनों तक रखी गई नजर एक अनोखे प्रयास में, शोधकर्ताओं ने एक 26 वर्षीय व्यक्ति के मस्तिष्क पर लगातार 30 दिनों तक नजर रखी. निष्कर्ष ये निकला कि पुरुष मस्तिष्क दिन भर एक स्पंदनशील लय फील करता है, लेकिन रात 8 बजे के आसपास इतनी चेतना में कुछ कमी आती है. रात 8 बजे तक इसके ओवरआल वाल्यूम यानि समग्र आयतन और कॉर्टिकल मोटाई में उल्लेखनीय कमी आ जाती है.ब्रेन शाम के बाद सिकुड़ने लगता है और फिर रात भर रीसेट होने का काम करता है.
रात 08 बजे तक सिकड़ता रहता हैयानि ब्रेन सिकुड़ने लगता है. ये काम शाम से शुरू होता है और रात 8 बजे के आसपास तक चल रहता है. इसके बाद जब आप सोते हैं तो ये फिर रीसेट होने लगता है.क्या हार्मोन के कारण मस्तिष्क सिकुड़ता है?मस्तिष्क में इस आश्चर्यजनक पैटर्न के साथ-साथ अन्य चीजें भी होती हैं. तीन स्टेरॉयड हार्मोन – टेस्टोस्टेरोन, कॉर्टिसोल और एस्ट्राडियोल का स्तर भी रोज बढ़ता और घटता है. साइंटिस्ट का कहना है कि ब्रेन की ये लय और चेतना जैसी स्थिति केवल पुरुषों तक ही सीमित नहीं है बल्कि महिलाओं में भी होती है.अध्ययन की सह-लेखिका और पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन की पोस्टडॉक्टरल स्कॉलर लॉरा प्रिटशेट ने बताया कि महिलाओं को भी रोजाना हार्मोनल उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है.
हालांकि मासिक धर्म चक्र हार्मोन में दीर्घकालिक बदलाव के कारण इन परिवर्तनों को छिपा सकता है.मस्तिष्क में ग्रे मैटरशोधकर्ताओं ने मानसिक कामों, भावनाओं और गति में शामिल ब्रेन के महत्वपूर्ण घटक ग्रे मैटर की मात्रा में भी परिवर्तन देखा. शाम ढलते ही औसत ग्रे मैटर की मात्रा में लगभग 0.6 प्रतिशत की गिरावट आई.मस्तिष्क के कॉर्टेक्स में दो विशिष्ट क्षेत्र – संवेदी और दृश्य दिखाने में शामिल ओसीसीपिटल और पैरिएटल कॉर्टेक्स – सबसे अधिक सिकुड़ते पाए गए, जिससे इस घटना में एक दिलचस्प विवरण जुड़ गया।मस्तिष्क में गहरे परिवर्तनन केवल कॉर्टेक्स, बल्कि मस्तिष्क की गहरी संरचनाएं जैसे सेरिबैलम, ब्रेनस्टेम और हिप्पोकैम्पस के कुछ हिस्सों में भी दिन भर उतार-चढ़ाव होता रहता है.
प्रभावित क्षेत्र गति समन्वय, सूचना पहुंचाने और मेमोरी स्टोरेज के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिसका अर्थ है कि इन मस्तिष्क संरचनाओं में होने वाले बदलाव जब रोज के काम ज्यादा हों तो उसको प्रभावित करते हैं और इसी वजह से मानसिक तौर पर थकान का भी अनुभव होने लगता है.अध्ययन की सह-लेखिका और यूसीएसबी में डॉक्टरेट की छात्रा एली मुराता का मानना है कि मस्तिष्क में होने वाले बदलावों में हॉरमोन की भूमिका होती है, “लेकिन अध्ययन में ये नहीं कह सकते कि ये सीधे तौर पर इसका कारण है.”हार्मोनल क्षितिज का विस्तारमुराता ने कहा कि यह अध्ययन इस मिथक को भी गलत साबित करता है कि हार्मोन केवल महिलाओं के लिए ही प्रासंगिक हैं. वैसे साइंस की भाषा में देखें तो मस्तिष्क के शारीरिक परिवर्तनों और शरीर की सर्कैडियन लय के बीच परस्पर क्रिया न्यूरो साइंस में रिसर्च का गहन क्षेत्र है. सर्केडियन घड़ी कई तरह के शारीरिक कामों को नियंत्रित करती है और ये सुनिश्चित करती है कि शारीरिक प्रक्रियाएं 24 घंटे के दिन-रात चक्र के अनुरूप हों.पूरे दिन में मस्तिष्क की संरचनाओं में देखी गई सिकुड़न और फैलाव को सर्कैडियन चक्रों से जोड़ा जा सकता है, जो दिखाता है कि मस्तिष्क बाहरी समय संकेतों के प्रति बहुत संवेदनशील है.
इससे मूड पर भी पड़ता है असर चूंकि हार्मोनल उतार-चढ़ाव और मस्तिष्क के आकार में परिवर्तन मूड को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए असामान्य पैटर्न प्रदर्शित करने वाले व्यक्तियों की पहचान से अवसाद या चिंता जैसी स्थितियों के लिए शुरुआती निदान और हस्तक्षेप में मदद मिल सकती है.हालांकि ये निष्कर्ष निश्चित रूप से दिलचस्प हैं, लेकिन ये एक अकेले व्यक्ति पर किये गए अध्ययन से निकले हैं तो इसे व्यापक जनसंख्या का प्रतिनिधित्व नहीं मान सकते. आगे चलकर, शोधकर्ता मस्तिष्क पर नींद के विभिन्न प्रभावों की जांच करने की योजना बना रहे हैं.वैसे मस्तिष्क के विस्तार और सिकुड़न की घटना एक जटिल और निरंतर प्रक्रिया है जो उम्र, जीवनशैली और पर्यावरणीय परिस्थितियों सहित विभिन्न कारकों से प्रभावित होती हैसामान्य सिकुड़न प्रवृत्तियां: जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, मस्तिष्क आमतौर पर सिकुड़ना शुरू हो जाता है. ये प्रक्रिया अक्सर 30 या 40 की उम्र में शुरू होती है और 60 की उम्र के बाद तेज हो जाती है. सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में ललाट लोब और हिप्पोकैम्पस शामिल हैं.