चीन में एक महीना में 60 हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। यह सरकारी आंकड़ा है। मौतों का आंकड़ा इससे भी कहीं अधिक है। चीन में कोविड प्रोटोकॉल में छूट के बाद मौतों की यह सबसे भयावह संख्या है। चीन में कोरोना की वजह से अस्पताल में जगह नहीं है। स्कूल-कॉलेज और ऑफिस को अस्थायी हास्पिटल के रूप में तब्दील कर दिया गया है।
दवाइयों की किल्लत है। लोग फॉर्मेसी कंपनियों तक में लंबी-लंबी लाइन लगाकर दवाई लेने के लिए अपने बारी का इंतजार करते हुए देखे जा सकते हैं। वैक्सीनेशन की स्पीड काफी सुस्त होने की वजह से हर ओर खतरा बढ़ता ही दिख रहा है। डब्ल्यूएचओ ने चीन को लेकर चेतावनी भी दी है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि 8 दिसंबर 2022 से 12 जनवरी 2023 तक 59938 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हो चुकी है।
कोरोना से मचे हाहाकार के बाद चीन ने डेली डेटा को जारी करना बंद कर दिया था। चीन में कोविड को लेकर विफलता के खिलाफ लोग आक्रोशित भी थे। चिकित्सा प्रशासन ब्यूरो के प्रमुख जिओ याहुई ने मीडिया को बताया कि वायरस की वजह से सीधे रेस्पिरेटरी सिस्टम फेल होने से 5503 मौतें हुई हैं जबकि 54435 मौतें कोरोना के साथ अन्य बीमारियों की वजह से हुई है। चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि मरने वालों की औसत आयु 80.3 वर्ष है।
मरने वालों में 65 वर्ष से अधिक आयु के 90 प्रतिशत से अधिक लोग थे। अधिकतर लोग किसी दूसरी बीमारी से भी पीड़ित थे। चीन में 60 वर्ष से अधिक आयु के लाखों लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। चीन ने जनवरी से अपने यहां जीरो कोविड पॉलिसी में छूट देने के साथ ही क्वारंटीन को खत्म करने का ऐलान किया था। इसके पहले दिसंबर की शुरुआत में अपनी शून्य-कोविड नीति को छोड़ने के बाद से चीन पर वायरस से होने वाली मौतों की संख्या को कम करने का आरोप लगाया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने भी चीन की आलोचना करते हुए कोविड मौतों के आंकड़ों की गिनती का तरीका गलत होने की बात कही थी। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने कहा था कि स्वास्थ्य संगठन, चीन से अस्पताल में भर्ती होने और मौतों के बारे में अधिक तेज़, नियमित, विश्वसनीय डेटा के साथ-साथ वायरल सीक्वेंसिंग जारी रख रहा है