नई दिल्ली :– होली का त्योहार आने वाला है और इस मौके पर हर घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। पकवानों का स्वाद बढ़ाने के लिए सरसों तेल का खास इस्तेमाल होता है। यही कारण है कि होली से पहले सरसों तेल (Mustard Oil) की मांग काफी बढ़ जाती है। इस बढ़ती मांग के कारण सरसों तेल के दामों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, जिससे आम जनता की जेब पर असर पड़ रहा है।
वर्तमान में सरसों तेल की कीमतें
इन दिनों सरसों तेल की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। बाजार में सरसों तेल 150 से 160 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा है। हालांकि, यह अब भी अपने उच्चतम स्तर 210 रुपये प्रति लीटर से काफी नीचे है। फिर भी, हाल ही में हुई बढ़ोतरी ने आम आदमी के बजट को प्रभावित किया है।
किस वजह से बढ़ रहे हैं सरसों तेल के दाम?
सरसों तेल की कीमतों में उछाल के पीछे कई कारण हैं:
होली की मांग – त्योहार के समय तेल की मांग बढ़ने से दामों में तेजी आ जाती है।
कच्चे माल की कीमत – सरसों की फसल का उत्पादन और कीमतें सीधे सरसों तेल के दामों को प्रभावित करती हैं।
आयात निर्भरता – भारत में खाद्य तेलों का एक बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है। अगर आयातित तेल महंगा होता है तो सरसों तेल की कीमतें भी बढ़ती हैं।
भंडारण और सप्लाई चेन – अगर तेल का स्टॉक कम होता है या सप्लाई में रुकावट आती है तो बाजार में इसकी कीमत बढ़ जाती है।
कुछ प्रमुख शहरों में सरसों तेल के ताजा भाव
देश के अलग-अलग शहरों में सरसों तेल के दामों में अंतर देखा जा रहा है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख शहरों में सरसों तेल की मौजूदा कीमतें:
उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में सरसों तेल के रेट:
भदोही – 155 रुपये प्रति लीटर
बाराबंकी – 157 रुपये प्रति लीटर
डुमरियागंज – 155 रुपये प्रति लीटर
महाराजगंज – 160 रुपये प्रति लीटर
कन्नौज – 155 रुपये प्रति लीटर
इटावा – 152 रुपये प्रति लीटर
एटा – 154 रुपये प्रति लीटर
रामपुर – 155 रुपये प्रति लीटर
मुरादाबाद – 160 रुपये प्रति लीटर
पिछले साल के मुकाबले इस साल के दाम में अंतर
पिछले साल के मुकाबले इस साल सरसों तेल के दाम थोड़े स्थिर नजर आ रहे हैं। हालांकि, साल 2022 में सरसों तेल की कीमतें 180-210 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई थीं। इस साल उत्पादन में सुधार और आयात नीति में बदलाव के चलते कीमतें थोड़ी कंट्रोल मे हैं।
सरसों तेल के दाम घटाने के लिए सरकार के प्रयास
सरकार सरसों तेल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठा रही है:
आयात शुल्क में कमी – सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क को घटाकर कीमतों को स्थिर करने की कोशिश की है।
स्टॉक सीमा निर्धारण – सरकार ने थोक व्यापारियों के लिए स्टॉक सीमा निर्धारित की है ताकि जमाखोरी को रोका जा सके।
किसानों को समर्थन – सरकार किसानों को अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि घरेलू स्तर पर अधिक सरसों का उत्पादन हो।
होली पर सरसों तेल के दाम और बढ़ सकते हैं!
विशेषज्ञों का मानना है कि होली से पहले सरसों तेल की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। बाजार में मांग बढ़ने से कीमतों में 5-10 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी संभव है। ऐसे में उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे समय रहते अपनी जरूरत का तेल खरीद लें ताकि बाद में अधिक कीमत न चुकानी पड़े।