के एस ठाकुर
भारत अपनी जैव विविधता एवं वनो के लिए लिए विख्यात है ।भारत के वनों में प्रचुर मात्रा में वन औषधियां एवं खनिज संपदा मौजूद है और छत्तीसगढ़ इसमें विशिष्ट स्थान रखता है। छत्तीसगढ़ भारत के उन राज्यों में शुमार है जहां वनों का प्रतिशत प्रकृति संतुलन के अनुपात से अधिक है । प्राकृतिक संतुलन के लिए प्रकृति में जल थल और वन का प्रतिशत समान रूप से होना चाहिए किंतु विकास की अंधाधुंध दौड और प्रकृति की अमूल्य धरोहर वन की सुरक्षा के प्रति आम नागरिकों में दायित्व का बोध ना होना तथा वनों को अपनी आजीविका एवं आवश्यकता की संपत्ति मानकर वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है उससे ना सिर्फ पर्यावरण असंतुलित हो रहा है बल्कि ओजोन परत मैं छिद्र होने की संभावना भी बढ़ रही है ।यही वजह है कि आज मौसम का संतुलन बिगड़ता जा रहा है बारिश में बारिश नहीं होना गर्मी में अत्यधिक गर्मी पढ़ना ठंड का एहसास ना होना जैसे जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं। जो हमे सचेत करते हैं, कि समय रहते हैं यदि हमने वनों के संरक्षण और संवर्धन में अपने मानवीय दायित्व को पूरा नहीं किया तो आने वाले पीढ़ी को विकराल परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा । इतने विषम परिस्थितियों के बावजूद भी छत्तीसगढ़ कोरबा के बाल्को वनपरिक्षेत्र में वन विभाग ने 1400 साल पुराने साल के वृक्ष को संरक्षित किया है। पादप विज्ञानियों ने वैज्ञानिक परीक्षण के बाद इसकी उम्र की पुष्टि की है, जो इसे भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे पुराने जीवित वृक्षों में शुमार करती है। क्षेत्रीय ग्रामीण और आदिवासी इस महावृक्ष को देवतुल्य मानते आए हैं।के एस ठाकुर
कोरबा का सतरेंगा गांव साल वृक्षों के प्राकृतिक खजाने के लिए पहचान रखता है। यहां 2006 में इस महावृक्ष की खोज हुई थी। वानिकी की वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल कर जब इस महावृक्ष का विशेषज्ञों ने बारीकी से अध्ययन किया, तब इसकी उम्र 1400 साल पाई गई। देहरादून स्थित वानिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए परीक्षण में भी इसकी उम्र की पुष्टि की गई। अब इसकी उम्र को बोर्ड पर अंकित किया गया है। कोला वंदना क्षेत्रवासियों धारा साल के इस अद्वितीय वृक्ष को संजो कर रखना संरक्षित रखना सुरक्षित रखना अनुकरणीय पहल है ,जो सारे मानवीय जगत के लिए एक आदर्श प्रेरणा रुपी एवं हर्ष की बात है ।हमें उम्मीद की जानी चाहिए कि जिस प्रकार कोरबा में सबसे सबसे अधिक उम्र के जीवित पौधे को संरक्षित रखा गया है। प्रत्येक क्षेत्र में ऐसे अधिक आयु पौधों की की खोज कर उन्हें संरक्षित एवं सुरक्षित रखने का अनुकरणीय प्रयास होना चाहिए ,और इसके लिए वन विभाग को ग्राम वासियों से सहयोग प्राप्त कर उन्हें पुरस्कृत भी किया जाना चाहिए ।