नई दिल्ली:– देश में तेजी से बढ़ते सस्ते इस्पात के आयात से घरेलू इस्पात उत्पादकों को राहत देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने कुछ गैर-मिश्रधातु (नॉन-अलॉय) और मिश्रधातु (अलॉय) फ्लैट इस्पात उत्पादों पर 12 प्रतिशत की अस्थायी सेफगार्ड ड्यूटी (संरक्षण शुल्क) लगाने की घोषणा की है।
इस कदम का उद्देश्य उन भारतीय उत्पादकों को तत्काल राहत देना है जो आयात के कारण बाजार में पैदा हो रहे असंतुलन से जूझ रहे हैं। स्टील मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह निर्णय डायरेक्टर जनरल (ट्रेड रेमेडीज) की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है।
वित्त विभाग की अधिसूचना के अनुसार, यह सेफगार्ड ड्यूटी 12 प्रतिशत ऐड वेलोरम की दर से लगाई जाएगी और यह अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से 200 दिनों तक प्रभावी रहेगी, जब तक कि इसे पहले रद्द, अधिस्थगित या संशोधित न किया जाए।
सरकार ने पांच श्रेणियों के स्टील उत्पादों के लिए आयात मूल्य सीमा 675 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से 964 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के बीच तय की है। यदि इन उत्पादों का आयात इन कीमतों से कम दर पर किया जाता है, तो उन पर यह सेफगार्ड ड्यूटी लागू होगी। हालांकि, यदि आयात CIF (कॉस्ट, इंश्योरेंस और फ्रेट) आधार पर इन निर्धारित दरों के बराबर या अधिक कीमत पर होता है, तो उस पर यह शुल्क नहीं लगेगा।
किन उत्पादों पर लगेगा शुल्क?
जिन उत्पाद श्रेणियों पर यह सेफगार्ड ड्यूटी लागू होगी, उनमें शामिल हैं: हॉट रोल्ड कॉयल, शीट्स और प्लेट्स; हॉट रोल्ड प्लेट मिल प्लेट्स; कोल्ड रोल्ड कॉयल और शीट्स; मेटैलिक कोटेड स्टील कॉयल और शीट्स; और कलर कोटेड कॉयल और शीट्स
केंद्रीय मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “समय पर और आवश्यक कदम” बताया है। उन्होंने कहा, “यह कदम घरेलू उत्पादकों, विशेषकर छोटे और मध्यम उद्योगों को आवश्यक राहत देगा, जो बढ़ते आयात के दबाव में थे।”
इससे पहले 20 मार्च 2025 को टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट किया था कि वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) ने इस्पात आयात में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए 200 दिनों की अस्थायी अवधि के लिए इस शुल्क को लगाने की सिफारिश की थी।
DGTR की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
DGTR की रिपोर्ट के अनुसार, आयात में अचानक हुई वृद्धि से घरेलू उद्योग को “गंभीर नुकसान और खतरे” का सामना करना पड़ा है, इसलिए यह कदम आवश्यक है। यह जांच भारतीय स्टील एसोसिएशन (ISA) की याचिका पर शुरू की गई थी, जो देश के प्रमुख इस्पात उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करती है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अमेरिका द्वारा अपनाई गई संरक्षणवादी नीतियों के कारण वैश्विक व्यापार का रुख बदल गया है और इसका असर भारत पर पड़ा है। कई देश जैसे यूरोपीय संघ, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, वियतनाम, मलेशिया और ट्यूनीशिया पहले ही अपने बाजारों को सुरक्षा देने के लिए आयात पर प्रतिबंधात्मक कदम उठा चुके हैं। DGTR ने कहा कि भारत का कोई भी सुरक्षा उपाय इस स्तर का होना चाहिए कि वह व्यापार के इस विचलन को रोक सके। यूरोपीय संघ द्वारा 2018 में लगाया गया 25 प्रतिशत सेफगार्ड शुल्क इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
क्या होते हैं सेफगार्ड उपाय?
सेफगार्ड उपाय, जैसे कि शुल्क या मात्रात्मक प्रतिबंध, विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्य देशों के लिए उपलब्ध व्यापार उपाय हैं। इन्हें तब लागू किया जाता है जब किसी उत्पाद के आयात में अचानक और अप्रत्याशित वृद्धि हो जाती है जिससे घरेलू उत्पादकों को गंभीर नुकसान या खतरे का सामना करना पड़ता है।
यह शुल्क सभी देशों पर समान दर से लागू होता है, जबकि एंटी-डंपिंग शुल्क केवल उन देशों पर लागू होता है जो सामान को अनुचित रूप से सस्ती दरों पर निर्यात कर रहे हों। सेफगार्ड उपायों का उद्देश्य घरेलू उद्योग को समय देना होता है ताकि वह प्रतिस्पर्धी बने और वैश्विक बाजार में अपने उत्पादों को बनाए रख सके।