मध्यप्रदेश:– नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा की पढ़ाई की दिशा में मध्य प्रदेश सरकार ने पहल कर दी है। प्रदेश के काॅलेजों में पढ़ाई के लिए 88 किताबों की सूची जारी की गई है। इसमें अधिकतर पुस्तकों के लेखक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस के विचारक हैं। राज्य सरकार ने इसी सत्र से पढ़ाई शुरू कराने के निर्देश उच्च शिक्षा विभाग को दिए हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने इसके लिए सभी सरकारी व निजी काॅलेजों में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। इस प्रकोष्ठ में भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ा साहित्य उपलब्ध रहेगा। सभी काॅलेजों को जनभागीदारी समिति की निधि से पुस्तक खरीदने के निर्देश हैं।
ये किताबें पढ़ाई जाएंगी
विभाग ने जो पुस्तकों की सूची उपलब्ध कराई गई है। उसमें चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास, शिक्षा स्वामी विवेकानंद, संयम और सदाचार, भूले न भुलाये, वैदिक गणित विहंगम दृष्टि, वैदिक गणित वर्तमान एवं भविष्य, पर्यावरण प्रेमी भारतीय दृष्टि, स्वभाषा लाओ-अंग्रेजी हटाओ, अंग्रेजी माध्यम का भ्रमजाल, भारतीय न्याय व्यवस्था की उपनिवेशवाद से मुक्ति, भारत का धार्मिक इतिहास, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के चार अध्याय, भारत क्या है?, ऋग्वेद का दाशर्निक तत्व, नए भारत का निर्माण, अटल बिहारी वाजपेयी-शिक्षा संवाद, शिक्षा में भारतीयता-एक विमर्श सहित 88 पुस्तकें शामिल हैं।
इन आरएसएस विचारकों की किताबें शामिल
विभाग ने सभी काॅलेजों को जिन लेखकों की किताबें खरीदने के निर्देश दिए हैं। उनमें संघ विचारक डा. अतुल कोठारी, दीनानाथ बत्रा, देवेंद्र राव देशमुख, डा. गणेशदत्त शर्मा, सुरेश सोनी, डा. सतीशचंद्र मित्तल सहित कई लेखकों की किताबें हैं।
राजनीति भी शुरू
भारतीय ज्ञान परंपरा की पढ़ाई के लिए पुस्तकों की सूची जारी होते ही राजनीति भी शुरू हो गई हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने एक्स पर कहा कि जिन पुस्तकों के नाम सूची में शामिल हैं, उनके लेखकों का शिक्षा जगत से कोई लेना-देना नहीं है। वे सिर्फ एक विचारधारा विशेष को ही समर्पित रहे हैं। कांग्रेस सरकार बनने पर हम इस आदेश को खत्म कराएंगे।
भाजपा ने किया पलटवार
इस पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि भारत केंद्रित शिक्षा व्यवस्था से कांग्रेस को आपत्ति क्यों है? कोई भी विषय आपत्तिजनक और गैर संवैधानिक नहीं है तो आपत्ति क्यों? कांग्रेस का पूर्वाग्रह गैर संवैधानिक है।