छत्तीसगढ़ :– मदिरा प्रेमियों को मनचाही शराब की जानकारी अब ‘मनपसंद’ ऑनलाइन ऐप से मिल सकती है. मनपसंद ऐप से आप जान सकते हैं कि किस दुकान में कौन सी ब्रांड,कितनी कीमत पर उपलब्ध है. राज्य के आबकारी विभाग ने यह व्यवस्था लागू कर दी है. ऑनलाइन के माध्यम से शराब की उपलब्धता की जानकारी देने के पीछे विभाग का तर्क है कि अब शराब प्रेमियों को मनचाही ब्रांड सही कीमत पर आसानी से उपलब्ध हो जाएगी. शराब की ऑनलाइन जानकारी को लेकर सरकार की मंशा चाहे कुछ भी हो लेकिन इस व्यवस्था पर सियासत गर्म है. विपक्षी दल कांग्रेस ने सत्ता पक्ष बीजेपी पर जमकर निशाना साध रही है.
दरअसल छत्तीसगढ़ में शराब शुरू से ही सियासत का केन्द्र रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में शराबबंदी का वादा करने वाली कांग्रेस सत्ता में आई तो अधिकारी से लेकर नेता तक 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में फंस गए. ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच जारी है. अब एक नजर छत्तीसगढ़ में शराब की खपत के आंकड़ों पर डालते हैं. ये आंकड़ें इकोनॉमिक रिसर्च एजेंसी एक रिपोर्ट के मुताबिक हैं. जो ये बताते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार की बड़ी कमाई के प्रमुख स्रोतों में शराब की बिक्री भी शामिल है.
आबकारी विभाग द्वारा मनपसंद ऐप लॉंच किए जाने के बाद से कांग्रेस बीजेपी पर सियासी हमले कर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सरकार को लगातार घेर रहे हैं. हालांकि इस व्यवस्था और कांग्रेस के आरोपों को लेकर सत्ताधारी दल बीजेपी के अपने तर्क हैं.
इससे साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती कि प्रदेश नशामुक्ति की ओर आगे बढ़े. जो बीजेपी सरकार पहले शराबबंदी के लिए आंदोलन करती थी वही अब ऑनलाइन शराब बिकवा रही है. अब तो रेस्टोरेंट में भी शराब मिल रहे हैं. बीजेपी सरकार का रवैया और चरित्र महिलाओं के सामने बेनकाब हो गया है.
दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रवक्ता अनुराग अग्रवाल ने कांग्रेस पर ही पलटवार किया है. अनुराग ने कहा है कि भूपेश बघेल जी जब कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे, तब आपके कार्यकाल में हजारों करोड़ रुपये के शराब घोटाले हुए, उस समय के आरोपी आज जेल में हैं. इसकी आंच खुद भूपेश बघेल तक भी
अनुराग ने कहा कि कांग्रेस की यह एक मात्र सरकार थी, जो अपने ही राजस्व पर डाका डालती थी.
दरअसल छत्तीसगढ़ शराब और सियासत का नाता पुराना है. शराब को लेकर किए वायदों पर सरकार बनती और वायदाखिलाफी पर सत्ता की कुर्सी जाती भी रही है. सियासत के बीच मनपसंद ऐप जनता को कितना पसंद आता है, यह भविष्य में ही देखने को मिलेगा.